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________________ ३८ ग्रंथकारोनो परिचय आ गाथामा नियुक्तिकारे " कस्सइ साहइ दिसासु य णिमित्तं " एम जणाव्युं छे ए उपरथी आपणने खात्री थाय छे के तेना प्रणेताने निमित्तना विषयमां भारे शोख हतो. नहितर आवा आचारांगसूत्र जेवा चरणकरणानुयोगना तात्विक ग्रन्थनुं व्याख्यान करतां बीजा कोई तात्त्विक पदार्थनो निर्देश न करतां निमित्तनो निर्देश करवा तरफ तेना प्रणेतानुं ध्यान जाय ज शी रीते ? __ केटलाक प्राचीन विद्वानो छेदसूत्र, नियुक्ति, भद्रबाहुसंहिता, उपसर्गहरस्तोत्र ए बधायना प्रणेता चौदपूर्वधर भद्रबाहुस्वामी छे ए कहेवा साथे एम पण माने छे के एओश्री वाराहीसंहिता आदिना प्रणेता ज्योतिर्विद् वराहमिहिरना सहोदर हता, परंतु आ कथन कोई रीते संगत नथी. कारण के वराहमिहिरनो समय पंचसिद्धान्तिकोना अंतमां पोते निर्देश करे छे ते प्रमाणे शक संवत ४२७ अर्थात् विक्रम संवत ५६२ छट्ठी शताब्दि उत्तरार्ध निर्णीत छे. एटले छेदसूत्रकार चतुर्दशपूर्वज्ञ भद्रबाहु अने उपसर्गहरस्तोत्रादिना रचयिता तेमज ज्योतिर्विद् वराहमिहिरना सहोदर भद्रबाहु तद्दन भिन्न ज नक्की थाय छे. उपसर्गहरस्तोत्रकार भद्रबाहु अने ज्योतिर्विद् वराहमिहिरनी परस्पर संकळाएली जे कथा चौदमी शताब्दिमां नोंधपोथीने पाने चढेली छे ए सत्य होय तेम संभव छ एटले उपसर्गहरस्तोत्रकार भद्रबाहुस्वामीने चतुर्दशपूर्वधर तरीके ओळखाववामां आवे छे ए बराबर नथी. तेम ज भद्रबाहुसंहिताना प्रणेता तरीके ए ज चतुर्दशपूर्वधरने कहेवामां आवे छे ए पण वजूददार नथी रहेतुं. कारणके भद्रबाहुसंहिता अने वाराहीसंहिता ए समाननामक ग्रन्थो पारस्परिक विशिष्ट स्पर्धाना सूचक होई बन्नेयना समकालभावी होवानी वातने ज वधारे टेको आपे छे. आ रीते वे भद्रबाहु थयानुं फलित थाय छे. एक छेदसूत्रकार चतुर्दशपूर्वधर स्थविर आर्य भद्रबाहु अने वीजा दश नियुक्तिओ, भद्रबाहुसंहिता अने उपसर्गहरस्तोत्रना प्रणेता भद्रबाहु, जेओ जैन संप्रदायमां नैमिचिक तरीके जाणीता छे. आ बन्नेय समर्थ ग्रंथकारो भिन्न होवार्नु ए उपरथी पण कही शकाय के-तित्थोगा. लिप्रकीर्णक, आवश्यकचूर्णि, आवश्यक हारिभद्रीया टीका, परिशिष्टपर्व आदि प्राचीन मान्य ग्रन्थोमां ज्यां चतुर्दशपूर्वधर स्थविर आर्य भद्रबाहुनुं चरित्र वर्णववामां आव्युं छे त्यां बारवरसी दुकाळ, तेओश्रीनु नेपाळ देशमां वसवू, महाप्राणध्यान- आराधन, स्थूलभद्र आदि मुनिओने वाचना आपवी, छेदसूत्रोनी रचना करवी इत्यादि हकीकत आवे छे पण वराहमिहिरना भाई होवानो, नियुक्तिग्रन्थो, उपसर्गहरस्तोत्र, भद्रबाहुसंहिता आदिनी रचना करवी आदिने लगतो तेमज तेओ नैमित्तिक होवाने लगतो कशोय उल्लेख नथी. आथी एम सहेजे ज लागे के-छेदसूत्रकार भद्रबाहुस्वामी अने नियुक्ति आदिना प्रणेता भद्रबाहुस्वामी बन्ने य जुदी जुदी व्यक्तिओ छे. १. सप्ताश्विवेदसंख्यं, शककालमपास्य चैत्रशुक्लादौ । अर्धास्तमिते भानौ, यवनपुरे सौम्यदिवसाये ॥ ८ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002515
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages424
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
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