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________________ ग्रंथकारोनो परिचय ३६ त्यारे ए नियुक्तिग्रन्थो कोणे रचेला छे ? अने एनो रचनासमय कयो होवो जोईए ? आ प्रश्नने लगतां लभ्य प्रमाणो अने अनुमानो अमे आ नीचे रजू करीए छीएछेदसूत्रकार चतुर्दशपूर्वघर भगवान् श्रीभद्रबाहुस्वामी ए ज नियुक्तिकार छे' ए भ्रान्त मान्यता जो समान नाममांथी जन्मी होय, -अने ए प्रकारनी नामसमानतानी प्रान्तिमांथी स्थविर आर्य कालक, आचार्य श्रीसिद्धसेन, आचार्य श्रीहरिभद्र वगेरेना संबंधमां जेम अनेक गोटालाभरी भ्रान्त मान्यताओ ऊभी थई छे तेम तेवो संभव ज वधारे छे, तो एम अनुमान कर अयोग्य नहि मनाय के छेदसूत्रकार करतां कोई बीजा ज भद्रबाहु नामना स्थविर नियुक्तिकार होवा जोइए - छे. " आ अनुमानना समर्थनमां अमे एक बीजुं अनुमान रजू करीए छीए-दशा, कल्प, व्यवहार अने निशीथ ए चार छेदसूत्रो, आवश्यकादि दश शास्त्र उपरनी निर्युक्तिओ, उवसहर स्तोत्र अने भद्रबाहुसंहिता मळी एकंदर सोळं ग्रन्थो श्रीभद्रबाहुस्वामीनी कृति तरीके श्वेतांबर संप्रदायमां सर्वत्र प्रसिद्ध छे. आमांनां चार छेदसूत्रो चतुर्दशपूर्वधर स्थविर आर्य भद्रबाहुकृत तरीके सर्वमान्य छे, ए अमे पहेलां कही आव्या छीए. नियुक्तिप्रन्थो अमे अनुमान कर्यु छे ते मुजब 'छेदसूत्रकार श्रीभद्रबाहुस्वामी करतां जुदा ज भद्रबाहुस्वामीए रचेला छे.' ए अमारुं कथन जो विद्वन्माय होय तो एम कही शकाय के - दश नियुक्तिग्रन्थो, उपसर्गहरस्तोत्र अने भद्रबाहुंसंहिता ए बारे ग्रंथो एक ज भद्रबाहुकृत होवा जोईए. आ भद्रबाहु बीज कोई नहि पण जेओ वाराहिसंहिताना प्रणेता ज्योतिर्विद् वराहमिहिरना पूर्वाश्रमना सहोदर तरीके जैन संप्रदायमां जाणीता छे अने जेमने अष्टांगनिमित्त अने मंत्रविद्याना पारगामी अर्थात् नैमित्तिकै तरीके ओळखवामां आवे छे, ते छे. एमणे भाई साथे धार्मिक स्पर्धामां आवतां भद्रवाहुसंहिता अने उपसर्गहरस्तोत्र जेवा मान्य ग्रन्थोनी रचना करी हती अथवा ए ग्रंथो रचत्रानी एमने अनिवार्य रीते आवश्यकता जणाई हती. भिन्नभिन्न संप्रदायना उपासक भाईओमां संहितापदालंकृत ग्रंथ रचवानी भावना जन्मे ए पारस्परिक स्पर्धा सिवाय भाग्ये ज संभवे . १. ओघनिर्युक्ति, पिंडनिर्युक्ति अनं पंचकल्पनिर्युक्ति आ त्रण निर्युक्तिरूप ग्रंथो अनुक्रमे आवश्यकनिर्युक्ति, दशवैकालिकनियुक्ति अने कल्पनिर्युक्तिता अंशरूप होई तेनी गणतरी अमे आ ठेकाणे जुदा ग्रंथ तरीके आपी नथी. संसक्तनिर्युक्ति, प्रहशान्तिस्तोत्र, सपादलक्षवसुदेवहिंडी आदि ग्रंथो भद्रवाहुस्त्रामिकृत होत्रा सा अनेक विरोध होई ए ग्रंथोनां नामनी नोंध पण अहीं लोधी नथी. २. भद्रबाहु संहिता ग्रंथ आजे लभ्य नथी. आज मळतो भद्रबाहुसंहिता ग्रंथ कृत्रिम छे एम तेना जाणकारो कहे छे. ३. पावयणी १ धम्मकही २ बाई ३ णेमित्तिओ ४ तवस्सी ५ य | विज्जा ६ सिद्धो ७ य कई ८ अट्ठेव पभावगा भगिया ॥ ॥ Jain Education International अजरक्ख १ नंदिसेणो २ सिरिगुत्तविणेय ३ भद्दबाहू ४ य । खवग ५ जखवुड ६ समिया S दिवायरो ९ वा इहाऽऽहरणा ॥ २ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002515
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages424
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
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