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________________ २७ २७ पथा १४४५-४६ १४४६-४९ बृहत्कल्पसूत्र पंचम विभागनो विषयानुक्रम । विषय गणावच्छेदक अने आचार्य-उपाध्यायने लगतो उपसम्पदा लेवानो विधि २३ भिक्षुविषयक सम्भोगोपसम्प त्सूत्र अने तेनी व्याख्या ५४५३-६९ संभोगोपसम्पदानां कारणो, गच्छ अने आचार्यना शैथिल्यविषयक चतुर्भंगी अने तेमने चारित्रमार्गमा उद्यत करवानो विधि तथा गणान्तरसंक्रमणने आश्री संविग्न भिक्षु अने संविग्न गण विषयक चतुर्भगी अने तेने लगती उपसम्पदानो विस्तृत विधि २४-२५ गणावच्छेदक अने आचार्यउपाध्यायविषयक सम्भोगोपसम्पत्सूत्रो २६ भिक्षुने लगतुं अन्य आचार्यउपाध्यायने स्वीकारवा विषयक सूत्र अने तेनी व्याख्या ५४७१ अन्य आचार्य-उपाध्यायने स्वीकारवानां कारणो ५४७२-७३ पू० ज्ञाननिमित्ते अने दर्शननिमित्ते अन्य आचार्य-उपा ध्यायने स्वीकारवानो विधि ५४७३ उ०-९२ पू० चारित्रनिमित्ते अन्य आचार्य-उपाध्यायना स्वीकारविषयक विधि, श्रुतव्यक्त-वयोव्यक्त पदनी चतुर्भंगी अने तेने आश्री आचार्य-उपाध्यायना स्वीकारनो विस्तृत विधि ५४९२ उ०-९६ २७-२८ गणावच्छेदक अने आचार्य-उपाध्यायने आश्री अन्य आचार्य-उपाध्यायने स्वीकारवा विषयक सूत्रो १४५०-५१ १४५१ १४५१ १४५२ १४५२-५६ १४५६-५८ ५४९७-५५६५ विष्वरभवनप्रकृत सूत्र २९ १४५८-७२ कालधर्म पामेल भिक्षु आदिना देहनी परिष्ठापनाविषयक सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002514
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 05
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages340
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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