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बृहत्कल्पसूत्र चतुर्थ विभागनो विषयानुक्रम ।
गाथा
विषय
४०९३ - ४०९९ जिनकल्पिक, स्थविरकल्पिक अने आर्याओना जघन्य, मध्यम, उत्कृष्ट उपधिनो विभाग
३६
४१००-४७
४१००-४
४१००
४१०१-४
४१०५-४७
४१०५-१३
४११४-२८
४१२९-४७
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अवग्रहानन्तकावग्रहपट्टक
प्रकृत सूत्र १०-११ १० निर्ग्रन्थविषयक अवग्रहानन्तकाव
ग्रहपट्टकसूत्र
निर्ग्रन्थोने अवग्रहानन्तक अने अवग्रहपट्टकनो उपयोग करवो कल्पे नहि
अवग्रहानन्तकावग्रहपट्टकप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथै
सम्बन्ध
निर्ग्रन्थविषयक अवग्रहानन्तकावग्रह
पट्टकसूत्रनी व्याख्या
निर्ग्रन्थोने अवग्रहानन्तक अने अवग्रहपट्टक धारवाने लगतां प्रायश्चित्त अने अपवाद
११ निर्ग्रन्थीविषयक अवग्रहानन्तकावग्रहपट्टकसूत्र
निर्ग्रन्थीओने अवग्रहानन्तक अने अवग्रहपट्टक राखवो अने तेनो उपयोग करवो कल्पे निर्ग्रन्थीओने अवग्रहानन्तक अने अवग्रहपट्टक नहि रावाथी लागता दोषो अने तद्विषयक अपवाद निर्ग्रन्थीओना विधिपूर्वक अने अविधिपूर्वक बहार नीकळवानुं स्वरूप तेने लगता गुण-दोषो, गुणदोषोने अंगे योध, मुरुण्डजड, नर्तकी, लसिका अने कदलीस्तम्भनां दृष्टान्तो अने प्रायश्चित्तादि धर्षित निर्ग्रन्थीना परिपालननो विधि अने तेनो अवर्णवाद - अवहेलनादि करनारने प्रायश्चित्तादि [ गाथा ४१३९ – गर्भोत्पत्तिनां पांच स्थानो ]
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पत्र
१११६ - १७
१११८-२८
१११८
१११८
१११८
१११८-१९
१११९-२८
१११९-२१
११२१-२४
११२४-२८
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