SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३० बृहत्कल्पसूत्र चतुर्थ विभागनो विषयानुक्रम । गाथा विषय पत्र ३८७२-७८ १०६५-६६ ६ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्धीविषयक अकृत्ल चर्मसूत्र निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने वर्ण-प्रमाणादिरहित चर्मनो उपभोग अने संग्रह करवो कल्पे निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीविषयक अकृत्स्नचर्म सूत्रनी व्याख्या अकृत्स्नचर्मनो सकारण उपभोग, निष्कारणे प्रायश्चित्त अने अकृत्स्नचर्मना अढार खण्ड करवाने लगतुं चार्चिक ३८७२-७८ १०६७-७४ १०६७ १०६७ ३८७९-३९१७ कृत्स्नाकृत्स्नवस्त्रप्रकृत सूत्र ७ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने कृत्स्नवस्त्रनो संग्रह अने उपभोग करवो न कल्पे पण अकृत्सवस्त्रनो संग्रह अने उपभोग करवो कल्पे ३८७९ कृत्स्नाकृत्स्नवस्त्रप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे सम्बन्ध ७ कृत्लाकृत्स्नवस्त्रसूत्रनी व्याख्या ३८८० कृत्सवखना छ निक्षेपो ३८८१-८३ द्रव्यकृत्स्नना सकलकृत्स्न अने प्रमाणकृत्ल ए वे प्रकारो अने तेनुं स्वरूप ३८८४-८५ क्षेत्रकृत्न अने कालकृत्स्ननु स्वरूप ३८८६-९८ __ भावकृत्लन स्वरूप ३८८६ भावकृत्स्नना वर्णयुत अने मूल्ययुत ए बे प्रकारो ३८८७-९८ पांच प्रकारना वर्णयुत अने त्रण प्रकारना मूल्ययुत भावकृत्स्ननुं स्वरूप अने तेने लगतां प्रायश्चित्तो ३८९९ प्रकारान्तरे भावकृत्स्ननुं स्वरूप ३९००-१७ द्रव्य-क्षेत्र-काल-भावकृत्सवखने लगता दोषो अने तेने अंगना अपवादो [गाथा ३९२३-४-स्तेन- उदाहरण] १०६७-६८ १०६८ १०६८-७० १०६८ १०६८-७० १०७० १०७०-७४ - - - ११.७४ मा पृष्ठमा ३९१७ गाथानी व्याख्या पछी ॥ कृत्लाकृत्मप्रकृतं समाप्तम् ॥ एटलं उमे॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002513
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 04
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages444
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy