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________________ २६ बृहत्कल्पसूत्र चतुर्थ विभागनो विषयानुक्रम । गाथा पत्र १०१७ विषय २४ उपधिसूत्रनी व्याख्या ३६६१-६३ ___जङ्गिक, भाङ्गिक, सानक, पोतक अने तिरीडपट्ट ए पांच प्रकारनां वस्त्रोतुं स्वरूप । ३६६४-७२ उपधिना परिभोगनो विधि, तेनी संख्या, अप वाद वगेरे १०१८ १०१९-२० ३६७३-७८ १०२१-२२ ३६७३ १०२१ रजोहरणप्रकृत सूत्र २५ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने पांच प्रकारना रजोहरणनो संग्रह करवो अने तेनो उपभोग करवो कल्पे रजोहरणप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे संबंध २५ रजोहरणसूत्रनी व्याख्या रजोहरणनी व्याख्या वञ्चकचिप्पक अने मुञ्जचिप्पकनुं स्वरूप और्णिक, औष्ट्रिक, सानक, वञ्चकचिप्पक अने मुञ्जचिप्पक ए पांच प्रकारना रजोहरणोना ग्रहणने लगतो क्रम, तेनो विधि अने कारणो १०२१ १०२१ ३६७४. ३६७५ ३६७६-७८ १०२१ १०२२ तृतीय उद्देशक। ३६७९-३८०४ उपाश्रयप्रवेशप्रकृत सूत्र १-२ १०२३-५० ३६७९-३८०१ १ निर्ग्रन्थ्युपाश्रयप्रवेशसूत्र . . . . १०२३-४९ निम्रन्थोने निम्रन्थीना उपाश्रयमां बेसबुं, सुवु, आहार, निहार, स्वाध्याय, ध्यान, कायोत्सर्ग वगेरे कशु य करवू कल्पे नहि ३६७९-८१ उपाश्रयप्रवेशप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे संबंध १०२३-२४ निर्ग्रन्थ्युपाश्रयप्रवेशसूत्रनी व्याख्या : १०२४ ३६८२-८६ स्थविरादिने पूछीने के पूछया सिवाय निम्रन्थीना उपाश्रये विना कारणे जवाथी आचार्यादिने लागतां १ आ ठेकाणे मूळमां निर्ग्रन्थ्युपाश्रयप्रवेशप्रकृतम् एम छपायुं छे तेने बदले उपाश्रयप्रवेशप्रकृतम् समजबुं॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002513
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 04
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages444
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size24 MB
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