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________________ बृहत्कल्पसूत्र चतुर्थ विभागनो विषयानुक गाथा विषय ३६५३ - ५८ पूज्य भक्तोपकरणप्रकृत सू० २०-२४ २० पहेलुं प्रातिहारिक सागारिक पूज्य भक्तोपकरण सूत्र ३६५३-५७ सागारिकसंबंधी प्रातिहारिक पूज्यभक्त अने उपकरण सागारिक पोते अथवा तेनो परिवार आपे तो पण कल्पे नहि पूज्य भक्तोपकरणप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथै सम्बन्ध पहेला प्रातिहारिक सागारिकपूज्यभक्तोपकरणसूत्रनी व्याख्या पूज्यभक्त, चेतित, प्राभृतिका, उपकरण, निष्ठित, निष्ट आदि पदोनुं स्वरूप अने तेना एकार्थिको २१ बीजुं प्रातिहारिक सागारिकपूज्य भक्तोपकरण सूत्र सागारिका प्रातिहारिक पूज्यभक्तादिने सागारिकना पूज्य आपे तो पण साधुने लेवुं कल्पे नह २२ न्रीजुं अप्रातिहारिक सागारिकपूज्य भक्तोपकरण सूत्र अप्रातिहारिक सागारिकपूज्यभक्तादि सागारिक अगर तेनो परिजन आपे तो साधुने लेवां कल्पे नहि २३ चोथुं अप्रातिहारिक सागारिक पूज्य भक्तोपकरण सूत्र अप्राविहारिक सागारिकपूज्यभक्तादि सागारिक अगर तेनो परिजन न आपे पण सागारिकना पूज्य पोते आपे तो साधुने लेवां कल्पे चोथा सागारिकपूज्य० सूत्रनुं आपवादिकपणुं ३६५३-५४ ३६५५-५७ ३६५८ ३६५९-७२ ३६५९-६० Jain Education International उपधिप्रकृत सूत्र २४ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने संग्रहवा योग्य अने पहेरवा योग्य पांच प्रकारनां वस्त्रो उपधिप्रकृतनो पूर्वसूत्र स्वाथे संबंध For Private & Personal Use Only १०१४- १७ १०१४ १०१४-१५ १०१५ १०१५-१६ १०१६ १०१६ १०१६ १०१७ १०१७-२० १०१७ www.jainelibrary.org
SR No.002513
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 04
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages444
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size24 MB
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