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गाथा
३३११-१२
३३१३–२५
३३२६–२७
३३२८-३१
३३३२
३३३३-४०
३३४१-५०
३३५१-६०
३३६१-६६
३३६७-७५
३३७६-९२
३३९३-३४०१
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बृहत्कल्पसूत्र चतुर्थी विभागनो विषयानुक्रम |
विषय
वीजा उपाश्रयसूत्रमां आवतां राशीकृत, पुञ्जीकृत, कुलिकाकृत, लाञ्छित, मुद्रित अने पिहित ए छ पदोनी व्याख्या
प्रस्तुत सूत्रमां गीतार्थ के अगीतार्थ विशेषण न होवा छतां आ सूत्र गीतार्थअनुज्ञाविषयक छे तेनुं शुं कारण ? ए प्रकारनी शिष्यनी शंका अने आचार्ये करेलुं समाधान अने ते प्रसंगे १ उत्सर्गसूत्र २ आपवादिकसूत्र ३ उत्सर्गापवादिकसूत्र ४ अपवादौत्सर्गिकसूत्र ५ उत्सर्गौत्सर्गिकसूत्र ६ अपवादापवादिकसूत्र ए छ प्रकारनां सूत्रोनुं तथा १ देशसूत्र २ निरवशेषसूत्र ३ उत्क्रमसूत्र ४ क्रमसूत्र ए चार प्रकारनां सूत्रोनुं स्वरूप औत्सर्गिक अने आपवादिक सूत्रोनो विषय अने तेमनुं स्वस्थान
शिष्य अने आचार्यनी प्रश्नोत्तरीद्वारा उत्सर्ग अने अपवादना रहस्यनुं प्रतिपादन
अनुज्ञापनायतना, स्वपक्षयतना अने परपक्षयतनाना स्वरूपने अगीतार्थ निर्मन्थो जाणता नथी
अगीतार्थविषयक अनुज्ञापनाअयतनानुं स्वरूप अगीतार्थविषयक स्वपक्षअयतनानुं स्वरूप अगीतार्थविषयक परपक्षअयतनानुं स्वरूप
गीतार्थविषयक अनुज्ञापनायतनानुं स्वरूप
गीतार्थविषयक स्वपक्षयतनानुं स्वरूप
गीतार्थविषयक परपक्षयतनानुं स्वरूप
[ गाथा ३३८६ - जयन्ती श्राविकानुं उदाहरण ]
३ त्रीजुं उपाश्रयसूत्र
जे उपाश्रयमां शालि आदि अनाज एक बाजु ढगला आदि रूपे राखेल न होय पण कोठार आदिमां सुरक्षित रीते राखेल होय त्यां निर्मन्थनिर्मन्थीओने चोमासामा रहेवुं कल्पे
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