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________________ ॥ अहम् ॥ बृहत्कल्पसूत्र चतुर्थ विभागनो विषयानुक्रम । गाथा पत्र ९२३-७९ ९२३-३० द्वितीय उद्देश। विषय ३२९०-३५१७ उपाश्रयप्रकृत सूत्र १-१२ उपाश्रयना व्याघातोतुं विस्तृत वर्णन ३२९०-३३०९ १ पहेलु उपाश्रयसूत्र शालि व्रीहि मग आदि सचेतन अनाज वीज आदि वेराएल होय तेवा उपाश्रयमा निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने थोडो वखत पण रहेg कल्पे नहि ३२९०-९२ वीजा उद्देशनो अने उपाश्रयप्रकृतनो पहेला उद्देश साथे अने तेना अंतिम सूत्र साथे संबंध पहेला उपाश्रयसूत्रनी व्याख्या ३२९३-९५ 'उपाश्रय'पदना निक्षेपो अने एकार्थिक नामो ३२९६ 'वगडा'पदना निक्षेपो ३२९७-३३०१ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने रहेवा योग्य अने नहि रहेवा योग्य उपाश्रयो ३३०२-३ पहेला उपाश्रयसूत्रमा आवतां उत्क्षिप्त, विक्षिप्त, व्यतिकीर्ण, विप्रकीर्ण अने यथालन्द पदोनी व्याख्या ३३०४-९ वीजाकीर्ण आदि उपाश्रयमा रहेवाने लगतां प्राय श्चित्तो, अपवाद अने यतनाओ ३३१०-९२ २बीजं उपाश्रयसूत्र जे उपाश्रयमा शालि आदि अनाज वेराएल न होय पण एक बाजु ढगला आदि रूपे राखेल होय त्यां हेमंत-ग्रीष्म ऋतुमां निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने रहेQ कल्पे बीजा उपाश्रयसूत्रनी व्याख्या राशीकृत पुञ्जीकृत वीजादिवाळा उपाश्रयमा अगीतार्थने वसवाथी लागतां प्रायश्चित्तो ९२३-२४ ९२४ ९२४-२५ ९२५ ९२५-२७ ९२७ ९२७-३० ९३०-४८ ९३० ९३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002513
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 04
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages444
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size24 MB
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