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॥ अर्हम् ॥
प्रासंगिक निवेदन |
निर्युक्ति-भाष्य - वृत्तिसहित बृहत्कल्पसूत्रना आ अगाउ अमे त्रण विभाग प्रसिद्ध करी चूक्या छीए । आजे एनो चतुर्थ विभाग प्रसिद्ध करवामां आवे छे । पहेला त्रण विभागमां पहेलो उद्देश समाप्त थयो छे अने आ विभागमां वीजो-त्रीजो उद्देश पूर्ण थाय छे । आ विभागनी समाप्ति साथै निर्युक्ति-भाष्य-वृत्तिसहित बृहत्कल्पसूत्रनी मनाती ४२६०० श्लोकसंख्या पैकी ३३८२५ श्लोक सुधीनो अंश समाप्त थाय छे । आ प्रमाण अमे अमारी नोंध अनुसार जणावीए छीए । निर्युक्ति-भाष्य - वृत्तियुक्त बृहत्कल्पसूत्रनी जुदी जुदी प्रतोमां ग्रन्थानं ०नी नोंध अति अस्तव्यस्त होई एने आधारे विवेक करी आपेली अमारी ग्रन्थप्रमाणनी संख्या सर्वथा वास्तविक होवामाटे अमे भार मूकता नथी ते छतां अमेटलं भारपूर्वक कहीए छीए के अमे ग्रन्थाग्रं०नी नोंध आपवा माटे अतिघणी काळजी अने चोकसाई राखेली छे ।
पहेलां प्रसिद्ध करवामां आवेला त्रण विभागना संशोधनमां जे जे हस्तलिखित प्रतिओनो उपयोग करवामां आव्यो छे ते बधीओनो परिचय अमे ते ते विभागना "प्रासंगिक निवेदन" वगेरेमां आप्यो छे । प्रस्तुत चतुर्थ विभागना संशोधनमां, तृतीय विभागना "प्रासङ्गिक निवेदन" मां जणावेल द्वितीयखंडनी सात प्रतिओ उपरांत तेज भंडारमांनी त० प्रति सिवायनी तृतीयखंडनी छ प्रतिओनो पण अमे उपयोग कर्यो छे; जेमनो परिचय आ नीचे आपवामां आवे छे ।
तृतीयखंडनी प्रतिओ
१-२ डे० प्रति अने कां० प्रति—आ बन्नेय प्रतिओनो परिचय आ पहेलां प्रकाशित थइ चूकेला विभागोमां संपूर्णपणे अपाइ गयेल होवाथी आने अंगे अमारे अहीं कशुं ज कहेवानुं रहेतुं नथी ।
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३ भा० प्रति — आ प्रति पाटण - भाभाना पाडामांना विमळना ज्ञानभंडारनी छे । एनां पानां २२९ छे । दरेक पानामां पूठीदीठ १८ - १९ लीटीओ लखेली छे अने दरेक लीटीमा ४० थी ४७ अक्षरो छे । प्रतिनी लंबाई ११ ॥ इंचनी अने पहोळाई ४ ॥ इंचनी छे । प्रतिना अंतमां नीचे प्रमाणेनी, प्रस्तुत प्रति जेना उपरथी लखाई छे तेना लखावनारनी तेम ज प्रस्तुत प्रतिना लखनार - लखावनारनी पुष्पिका छे
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