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बृहत्कल्पसूत्र तृतीय विभागनो विषयानुक्रम ।
गाथा
पत्र
७२७ ७२७
७२७
७२७-२९
७२९-३४
विषय २५८३ प्रतिबद्धशय्याप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथै सम्बन्ध
पहेला प्रतिबद्धशय्यासूत्रनी व्याख्या २५८४-८६ 'प्रतिबद्ध' पदना निक्षेपो, भावप्रतिबद्धना प्रस्रवण
स्थान रूप अने शब्द ए चार प्रकारो, द्रव्यप्रतिबद्धभावप्रतिबद्धपदनी चतुर्भंगी अने तेने लगतो विधि
निषेध २५८६-९१ निम्रन्थोने 'द्रव्यतः प्रतिवद्ध-भावतः अप्रतिबद्ध'रूप
पहेला भांगावाळा उपाश्रयमां वसवाथी लागता अधिकरणादिदोषो, तेनुं स्वरूप अने तेने लगती
यतनाओ २५९२-२६१३ निग्रंथोने 'द्रव्यतः अप्रतिबद्ध-भावतः प्रस्रवण
स्थान-रूप-शब्दप्रतिबद्ध रूप बीजा भांगावाळा उपाश्रयमां वसवाथी लागता दोषो, तेनुं स्वरूप अने तेने लगती विविध यतनाओ [गाथा २५९३–प्रस्रवण, स्थान, रूप अने शब्द
प्रतिबद्धपदनी षोडशभंगी] २६१४-१५
निग्रंथोने 'द्रव्य-भावप्रतिवद्ध'रूप त्रीजा भांगावाळा उपाश्रयमां वसवाथी लागता दोषो वगेरेनी भलामण अने 'द्रव्य-भावअप्रतिबद्ध' भांगावाळा उपाश्रयोनी
निर्दोषतार्नु कथन २६१६-२८ ३१ बीजुं प्रतिबद्धशय्यासूत्र
जे उपाश्रयनी नजीकमां सागारिक रहेता होय त्यां
निम्रन्थीओने रहेQ कल्पे २६१६ निर्ग्रन्थीविषयक प्रतिबद्धशय्यासूत्रनी व्याख्यामाटे
निर्ग्रन्थसूत्रना व्याख्याननी भलामण २६१७-२० द्रव्यप्रतिबद्ध उपाश्रयमां वसवाथी निर्घन्धीओने
लागता दोषो यतना वगेरे २६२१-२८ भावप्रतिबद्ध उपाश्रयमां वसवाथी निर्ग्रन्थीओने
लागता दोषो यतना वगेरे अने पूपलिकाखादकनुं उदाहरण
७३५-३८
७३५-३६
७३६-३८
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