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________________ २० गाथा २३२६-६१ २३२६-५२ २३२६ २३२७ २३२८-३० बृहत्कल्पसूत्र तृतीय विभागनो विषयानुक्रम । विषय पत्र अपावृतद्वारोपाश्रयप्रकृत सूत्र १४-१५ ६५९-६९ १४ पहेलं अपावृतद्वारोपाश्रयसूत्र ६५९-६६ निर्गन्धीओए दरवाजा विनाना खुल्ला उपाश्रयोमां न रहे. दरवाजावाळो उपाश्रय न मळे तो छेवटे तेवा उपाश्रयमा पडदो बांधीने रहेवू अपावृतद्वारोपाश्रयप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे सम्बन्ध ६५९ पहेला अपावृतद्वारोपाश्रयसूत्रनी व्याख्या निम्रन्थीविषयक अपावृतद्वारोपाश्रयसूत्रने आचार्य प्रवर्तिनीने न समजावे, प्रवर्तिनी पोतानी श्रमणीओने न संभळावे तेम ज श्रमणीओ ए सूत्रने न सांभळे तेने लगतां प्रायश्चित्तो दरवाजा विनाना उपाश्रयमा रहेती प्रवर्तिनी, गणावच्छेदिनी, अभिषेका अने श्रमणीओने लगता प्रायश्चित्तो अने त्यां रहेवाथी संभवता दोषो ६६० अपवादपदे दरवाजा विनाना उपाश्रयमा श्रमणीओने रहेवानो विधि ६६१-६६ दरवाजा विनाना उपाश्रयमां कटना दरवाजाने बांधवानी युक्ति ६६१-६२ दरवाजानी रक्षा करनार प्रतिहारसाध्वी-द्वारपालिका श्रमणी अने तेना गुणो ६६२ दरवाजा विनाना उपाश्रयमां गणिनी, प्रतिहारसाध्वी अने बाकीनी साध्वीओने रहेवाना स्थाननो निर्देश ६६३ प्रस्रवणादिमाटे बहार जवा-आववामां विलम्ब करती निर्मन्धीओने ठपको आपवानो तेम ज निर्ग्रन्थीने बदले कोई बीजो मनुष्य उपाश्रयमां पेसी न जाय तेमाटे तेमनी परीक्षा करवानो विधि ६६३-६४ प्रतिहारसाध्वीद्वारा उपाश्रयना दरवाजानी रक्षा ६६४ २३३१-५२ २३३१-३३ २३३४-३५ २३३६ २३३७-४० २३४१ १ आ प्रकृतनी शरुआत पत्र ६५९ मां भाष्यगाथा २३२५ नी वृत्ति पछी सूत्रम् ना पहेलाथी थाय छ। आ ठेकाणे-॥ आपणगृह-रथ्यामुखादिप्रकृतं समाप्तम् ॥ अपावृतद्वारोपाश्रयप्रकृतम् एटलं उमेरी लेवू॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002512
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages364
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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