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________________ प्रासंगिक निवेदन | ११ ते छतां प्रतिनुं रूप जोतां ते सोळमी सदीमां लखाई होय तेम लागे छे । प्रति साधारण स्थितिमां छे । लिपि सुंदर छे । प्रति तपगच्छीय भंडारनी होई एनी अमे त० संज्ञा राखी छे । आ प्रति अमे भंडारना संरक्षक शेठ मलुकचंद दोलाचंद द्वारा मेळवी छे । ३ डे० प्रति - आ प्रतिनो परिचय अमे प्रथम विभागना "प्रासङ्गिक निवेदन मां आप्यो छे ते उपरांत अहीं अमारे एटलं ज उमेरवानुं छे के आ प्रतिनां पानां ६११ छे अने तेना अंतमां आ प्रमाणे लेखकनी पुष्पिका छे ॥ संवत् १६२७ वर्षे वैशाप वदि ३ शनौ । अद्येह श्रीअहम्मदाबाद राजनगरमध्ये | द्विजदीक्पालज्ञातीय । महं रवदास सुत रामचंद्र स्वयं हस्ते लक्षितं ॥ छ ॥ ॥ छ ॥ ॥ छ ॥ ॥ ग्रंथानं ४२५९० ॥ ॥ छ ॥ ॥ छ ॥ श्रीस्तंभनक पार्श्वनाथप्रकटकश्रीनवांगीवृत्तिकारश्री अभयदेवसूरिप्रभुप्राप्तप्रतिष्ठे श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीपूज्य श्रीजिनराजसूरिपट्टालंकारश्रीजिनभद्रसूरि संताने श्रीजिनचन्द्रसूरिविजयराज्ये ॥ श्रीशंखवालगोत्रे । सा० तेजा वीरपाल ज्ञानपुण्यार्थे सा० । सहसूकेन अमीपालयुतेन इयं श्रीवृहत्कल्पवृत्तिर्लेखिता ॥ ॥ छ ॥ ॥ कल्याणमस्तु ॥ ॥ छ ॥ ॥ छ ॥ ॥ छ ॥ ॥ छ ॥ ९ ॥ छ ॥ ४ मो० प्रति – आप्रति पाटणना सागरगच्छना उपाश्रयमां मूकेल शेठ मोंका मोदीना भंडारनी छे । एनां पानां १३४ छे । दरेक पानानी पुठीदीठ सत्तर सत्तर लीटीओ छे अने ए दरेक लीटीमां ६६ थी ७० अक्षरो छे । प्रतिनी लंबाई १३ || इंचनी अने पहोळाई ५ | इंचनी छे । प्रतिने छेडे नीचे प्रमाणेनी पुष्पिका छे ॥ छ ॥ ॥ छ ॥ इति श्रीकल्पवृत्ति द्वितीयखंड समाप्तं ॥ छ ॥ संवत् १५७४ वर्षे भाद्रपदमासे कृष्णपक्षे तृतीया भार्गवे लिखितं Jain Education International प्रतिनी स्थिति जीर्णप्राय छे । प्रति मोदीना भंडारनी होई एनी संज्ञा मो० राखी छे । ५ ले० प्रति—आ प्रति पाटणना सागरगच्छना उपाश्रयमां रहेल लेहेरु वकीलना भंडारनी छे । एनां पानां १३६ छे । दरेक पानानी पूठीदीठ सत्तर सत्तर लीटीओ छे अने दरेक लीटीमा ६९ थी ७४ अक्षरो छे । प्रतिनी लंबाई १३ ॥ इंच अने पहोळाई ५ इंच छे । प्रतिना अंतमां लेखकनी पुष्पिका आदि कय नथी । प्रतिनी स्थिति जीर्णप्राय छे । प्रति लेहेरु वकीलना भंडारनी होई एनी अमे ले० संज्ञा राखी छे । 1 उपरोक्त बन्नेय प्रतिओ अमे हेमचंद्रसभा द्वारा मेळवी छे । ६ कां० प्रति – आप्रतिनो परिचय अमे प्रथम विभागमां आप्यो छे एटले आना संबंधमां अमारे अहीं कशुं ज विशेष कहेवानुं नथी । ७ ता० प्रति – आप्रति पाटण-चखतजीनी सेरीमा रहेला संघना भंडारनी छे । एनां पानां ४२० छे, जे पैकी पत्र ९ धी १९८ सुधीनां गुम धयां छे । पानानी पुटीदीठ ४ थी ६ लीटीओ छे अने ए दरेक लीटीमां १२० धी १३० अक्षरो छे । प्रतिनी लंबाई ३१॥॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002512
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages364
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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