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॥ अहम् ॥ प्रासंगिक निवेदन ।
नियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसहित बृहत्कल्पसूत्रना आ अगाउ अमे वे विभागो प्रकाशित करी चूक्या छीए । आजे एनो, “प्रथम उद्देश संपूर्ण" सुधीनो त्रीजो विभाग प्रसिद्ध करवामां आवे छे । प्रथमना वे विभागोमां अमे बृहत्कल्पसटीक-प्रथमखंडनी जुदा जुदा भंडारोमांनी छ प्रतिओनो उपयोग को हतो, जेमनो परिचय अमे प्रथम विभागमा आप्यो छे । आ विभागथी अमे एना द्वितीयखंडनी ए ज भंडारोमांनी छ प्रतिओ अने ते उपरांत एक ताडपत्रीय प्रतिनो उपयोग कर्यो छे, जेमनो परिचय आ नीचे आपीए छीए ।
द्वितीयखण्डनी प्रतिओ १ भा० प्रति-आ प्रति पाटणना भाभाना पाडामांना विमळना ज्ञानभंडारनी छ । तेनां पानां २८६ छ । दरेक पानानी एक बाजुए १८ लीटीओ लखेली छे, पण २१७ थी २८६ पाना सुधीमां १९ लीटीओ लखवामां आवी छे । दरेक लीटीमा ४८ थी ५० अक्षरो छ । प्रतिनी लंबाई साडाअगीआर इंचनी अने पहोळाई साडाचार इंचनी छे । प्रतिना अंतमां नीचे प्रमाणे लेखकनी पुष्पिका छे
इति श्रीकल्पाध्ययनटीकायां द्वितीयपंडं समाप्तमिति भद्रमस्तु ॥ ॥ छ । ॥छ॥ ॥छ ॥ श्री॥ संवत् १६०७ वर्षे फाल्गुनमासे शुक्लपक्षे प्रतिपदातिथौ शुक्रवासरे ॥ श्री ................गच्छे ॥ भ० श्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्री.........
................."लिषापितां सिद्धान्तकल्पस्य टीकायां द्वितीयपंडं समाप्तं ॥ ग्रंथान सहस्राणि चतुर्दश ॥ छ । .........
.........सिंहराज्ये ॥ जादृशं पुस्तके दृष्ट्वा । तादृशं लिखितं मया । यदि शुद्धमशुद्धं वा । मम दोषो न दीयतां ॥ लिषि...."
आ उल्लेखमां ज्यां खाली मीडां मूक्यां छे ते अक्षरोने ए प्रतिना कोई उठाउगीरे भूसी नाख्या छ । प्रतिनी स्थिति साधारण छे । आ प्रति भाभाना पाडाना ज्ञानभंडारनी होई एनी अमे भा० संज्ञा राखी छे । आ प्रति अमे भंडारना वहीवटदार शेठ उत्तमचंद नागरदास द्वारा मेळवी छे।।
२ त० प्रति-आ प्रति पाटणना फोफलीयावाडानी आगलीसेरीमांना तपगच्छीय ज्ञानभंडारनी छे । आ भंडार अत्यारे पंचासराना पोळिया उपाश्रयमा राखवामां आन्यो छे । आ प्रतिनां पानां १८९ छे । दरेक पानानी पुठीदीठ १७ लीटीओ छे अने ए दरेक लीटीमा ७० थी ७५ अक्षर छ । प्रतिनी लंबाई १३। इंचनी अने पहोळाई ५ इंचनी छे । एना अंतमां लेखनसमयने सूचवती लेखकनी पुष्पिका आदि क°य नी
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