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________________ गाथा वृहत्कल्पसूत्र द्वितीय विभागनो विपयानुक्रम । विषय मूकबो तेनुं निरूपण अने तेम करवाथी ग्लान साधु अने तेनी सेवा करनारने थता लाभो ५८०-८२ २०१४-२२ ५८३-८५ २०२३-२७ ५८५-८६ १० गच्छप्रतिवद्धयथालंदिक द्वार वाचना आदिने कारणे गच्छ साथे संबंध राखता यथालंदिककल्पधारिओनो वन्दनादि व्यवहार अने तेमना मासकल्पनी मर्यादा ११ उपरिदोषद्वार ऋतुबद्ध शेष काळमां एक क्षेत्रमा एक महिना करतां वधारे रहेवाथी लागता दोपो १२ अपवादद्वार ऋतुबद्ध काळमां एक क्षेत्रमा एक मासकल्प करतां पधारे रहेवाने लगतां आपवादिक कारणो अने ते क्षेत्रमा रहेवानो तेमज भिक्षाचर्या लेवानो विधि २०२८-३३ ५८७-८८ ५८८-९२ २०३४-४६ ७ मासकल्पविषयक बीजुं सूत्र गाम नगर आदि, किल्लानी अंदर अने बहार एम वे विभागमा वसतां होय तो ऋतुबद्ध काळमां अंदर अने वहार मळी वे मास एक क्षेत्रमा निर्ग्रन्थोथी रही शकाय २०३४-४६ गाय नगरादिनी बहार वीजो मासकल्प करता त्यां तृण फलक आदि लइ जवानो विधि अविधिथी लइ जवामां दोप अने प्रायश्चित्त आदि २०४७-२१०५ ८ मासकल्पविषयक त्रीजुं सूत्र निर्घन्धीना मासकल्पनी मर्यादा २०४७ निर्ग्रन्थीविषयक वक्तव्यतानी निर्ग्रन्थनी माफक भलामण अने विहारद्वारमा जे विशेष छे तेना कथननी प्रतिज्ञा २०४८-२१०५ विहारद्वार निर्ग्रन्थीना विहारनुं वर्णन ५८८-९२ ५९२-६०६ ५९२-६०६
SR No.002511
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages400
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size21 MB
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