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________________ गाथा पत्र १४४७ ४३२ ४३२ १४४७-४९ १४५०-६३ बृहत्कल्पसूत्र द्वितीय विभागनो विपयानुक्रम । विषय ६ गच्छवासीओनो विहार गच्छवासीओना विहारनो समय अने मर्यादा विहार करवा अगाउ गच्छना निवास अने निर्वाह योग्य क्षेत्रने पडिलेहवानो-तपासवानो विधि अने क्षेत्रनी पडिलेहणामाटे क्षेत्रप्रत्युपेक्षकोने मोकलवा पहेला आखा गच्छने तेनी योग्य सम्मति तेमज सलाह लेवामाटे बोलाववानो विधि उत्सर्ग अने अपवादधी योग्य-अयोग्य क्षेत्रप्रत्युपेक्षको अर्थात् गच्छने-साधुसमुदायने रहेवा लायक तेमज नहि रहेवा लायक क्षेत्रना गुण-दोपोनी पडिले. हणा-परीक्षा करनाराओ गच्छने वसवा योग्य क्षेत्रनी पडिलेहणामाटे जवानो विधि अने क्षेत्रमा तपास करवा योग्य वावतो क्षेत्रनी पडिलेहणा माटे केटला जण जाय अने केवी रीते जाय ? ४३२-३५ १४६४-७० ४३६-३७ १४७१ ४३७ १४७२ ४३७ ४३८-३९ १४७३-७८ गमनद्वार, नोदकपृच्छाद्वार आदि द्वारो क्षेत्र पडिलेहणामाटे जनार क्षेत्रप्रत्युपेक्षकोए विहारना मार्गा, रस्तामा स्थंडिलभूमि, पाणी, विसामानां स्थान, भिक्षा, रहेवामाटे वसति-उपाश्रय, चोर जंगली प्राणी वगेरेनो उपद्रव आदिनी तपास करवी आदि १४७९-९३ पडिलेहणा करवा योग्य क्षेत्रमा प्रवेश करवानो विधि अने भिक्षाचर्या द्वारा क्षेत्रनी अर्थात् त्यांना निवासी लोकोनी मनोवृत्ति, भिक्षा औपध वगरे वस्तुनी सुलभता-दुर्लभता, निर्दोष वसति-उपाश्रय आदिनी पडिलेहणा-तपास १४९४-१५०४ गच्छवासीओना निवासयोग्य उपाश्रयो अने तेनी पडिलेहणानो विधि १५०५-१० महास्थंडिलनी पडिलेहणा अने तेना गुण-दोषो १५११-१२ गच्छवासी यथालंदिकोमाटे क्षेत्रनी पडिलेहणा ४३९-४२ ४४२-४५
SR No.002511
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages400
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size21 MB
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