SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाथा ६७ बृहत्कल्पसूत्रनी पीठिकानो विषयानुक्रम । विषय भाषानुं निरुक्त अने तद्विषये प्रतिश्रुत-प्रतिशब्दनुं दृष्टान्त । १९७-९८ विभाषानुं निरुक्तं अने तद्विषये अभ्रपटलनुं दृष्टान्त १९९-२०० वार्तिक- निरुक्त अने तद्विषये चार मंखोनुं दृष्टान्त २०१ व्यक्तिकर अथवा वार्तिककारनी योग्यता । २०२-७ निक्षेप, निरुक्त, अनुयोगद्वार आदि द्वारा पदार्थनुं व्याख्यान अने अंग उपांग आदि आगमोनुं निरूपण श्रीऋषभ तीर्थकरे कयु छे तेम ज श्रीमहावीरदेवे कयु छे ? के ते करतां जुदी रीते ? ए प्रश्ननो उत्तर अने ते विषये वर्तिनी-- गाडाना चीलानुं दृष्टान्त ६५-६७ २०८-३३ ४ विधिद्वार ६७-७२ २०८ विधिना एकाथिको ६७ २०९-१० बुद्धिशाळी अने मंदमति शिष्योने लक्षीने अनुयोग आपत्रानो ____ अर्थात् सूत्रनुं व्याख्यान करवानो विधि २११-१४ बुद्धिमान् अने मंदमति शिष्योने अनुयोग-सूत्रनी वाचना आपवामाटे प्रतिपादन करेल भिन्न भिन्न विधिमाटे आचार्य उपर रागद्वेष आदि दोषोनो आरोप अने तेनुं समाधान ६७-६८ २१५-२३ अतिपरिणामक, अपरिणामक आदि एकांत अयोग्य शिष्योने अनुयोग अर्थात् सूत्रार्थनी वाचना नहि आपवामां रागद्वेषनो अभाव अने तद्विषये दारु-लाकडं, धातु, व्याधि, बीज, काटुक, लक्षण, स्वप्न आदि दृष्टान्तो । २२४-३३ कालान्तरमा योग्यता प्राप्त करी शके एवा शिष्योने क्रमसर अनुयोग आपी योग्यता प्राप्त कराववामां राग-द्वेषनो अभाव अने तद्विषये अग्नि, बालक, ग्लान, सिंह, वृक्ष, करील, हस्ती, शरवेध, पत्रच्छेद्य, प्लवक, घटकार, पटकार, चित्रकार, धमक आदि दृष्टांतो अने तेनो उपनय ७०-७२ २३४-४० ५ प्रवृत्तिद्वार ७२-७४ २३४-३७ अनुयोगनी प्रवृत्ति क्यारे थाय ? ते विषये चतुर्भंगी अने गो--गायनुं दृष्टान्त ७२ २३८-३९ उद्यमी आचार्य प्रमादी शिष्योने अनुयोगमा प्रवृत्त करे छे तद्वि षये आर्यकालकनुं दृष्टान्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002510
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages296
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy