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________________ लिखित प्रतिओनो परिचय । १९ पानाथी प्रतिने कोई बीजा लेखके पूर्ण करी छ । लिपि अतिसुंदर होवा छतां लेखक एक सरखा अक्षरो लखी शक्यो नथी। कोई ठेकाणे नाना तो कोई ठेकाणे मोटा एम अक्षरो नाना मोटा थता रह्या छ । प्रति अशुद्धप्राय छ । ३ कल्पवृहद्भाष्य पत्र २०७ । आ प्रति कागळ उपर लखायेली छे । दरेक पानानी एक बाजुनी पुठीमां १३ लीटीओ छे अने दरेक लीटीमा ५३ थी ५८ अक्षरो छ । प्रतिनी लंबाई १०॥ इंचनी अने पहोळाई ४॥ इंचनी छे । प्रति सुंदर लिपिथी लखायेल छ । आ प्रति संपूर्ण नथी पण लखतां अधुरी रही गई छे एटले जीजा उद्देशमा काइ अपूर्ण सुधीनी छ । प्रति लखवामां कागळो बे जातना वपराया छे तेथी तेनां अर्धा पानां जीर्ण थई गयां छे अने अर्धां सारी स्थितिमा छ । प्रति घणी ज अशुद्ध छे। ___ उपरनी चणे य प्रतो पाटणना वखतजीनी सेरीमा रहेल संघना भंडारनी छे । जे शेठ धर्मचंद अभेचंदनी पेढी द्वारा मेळवी छ । ४ कल्पचूर्णी पत्र २१२ । आ प्रति कागळ उपर लखेली छे । दरेक पानानी एक बाजुनी पुठीमां १७ लीटीओ छ। अने दरेक लीटीमा ६२ थी ६६ अक्षरो छ । प्रतिनी लंबाई १३॥ इंच अने पहोळाई ५। इंचनी छ । प्रतिना अंतमां नीचेनी पुष्पिका छे"संवत् १५७४ वर्षे श्रीपत्तने मार्गशिर सुदि ७ बुधवासरे एवं पुस्तिकं परिपूर्ण प्रतिनी लिपि सुंदर छ । प्रति साधारण स्थितिमां अने अशुद्धप्राय छ । आ प्रति मोंका मोदीना भंडारनी छ । ५ कल्पविशेषचूर्णी पत्र १५२। आ प्रति कागळ उपर लखायली छे। तेना दरेक पानानी एक बाजुनी पुठीमा १६ लीटीओ लखेली छे अने दरेक लीटीमा ७८ थी ८५ अक्षरो छ । प्रतिनी लंबाई १३॥ इंचनी अने पहोळाई ५। इंचनी छ । प्रतिनी लिपि सुंदर छे अने ते सारी स्थितिमा छे । आ प्रति घणी ज अशुद्ध छे । प्रति लहेरु वकीलना भंडारमांनी छ । उपर जणावेली प्रतो अमने जे जे महाशयो द्वारा मळी छे अने ते सौए पोतपोताना भंडारनी प्रतो माटे अखूट धीरज राखी अमारा संशोधनकार्यमा जे कीम्मती सुगमता करी आपी छे तेमनो, धन्यवाद आपवा पूर्वक अमे आभार मानीए छीए । उपर जणावेल अगीआर अथवा तेर प्रतोनी मददी अत्यंत काळजी पूर्वक प्रस्तुत प्रन्थनुं संशोधन अमे गुरु-शिष्योए मळीने कयुं छे, तेम छतां अमारा संशोधनमा स्खलनाओ थवानो जरूर संभव छे । जे महानुभावो अमने अमारी त्रुटिओ सूचवशे ते सौनो अमे आभार मानीशुं अने तेमनी उपयोगी जणाती सूचनाओनो आ पछी प्रसिद्ध थनार वीजा भागोमां योग्य उपयोग करीशुं । निवेदको-गुरु-शिष्य मुनि चतुरविजय तथा पुण्यविजय. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002510
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages296
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size18 MB
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