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________________ पुरुषवाद और पुरुषकार ५०९ में पूर्वबद्ध कर्मों के यथाकाल उदय से पूर्व भी उदीरणा करके क्षय किया जा सकता है। कुछ कर्मों की स्थिति को कम किया जा सकता है उनकी फलदान शक्ति को अल्प किया जा सकता है। तपः साधना का इस संबंध में जैन दर्शन में अत्यन्त महत्त्व स्वीकार किया गया है। उत्तराध्ययन सूत्र में कहा गया है - 'भवकोडिसंचियं कम्मं, तवसा निज्जरिज्जई । ११०५ अर्थात् करोड़ों भवों में संचित कर्मों को तप के द्वारा निर्जरित किया जा सकता है। यह पुरुषार्थ जीव की अनन्त शक्ति को जागृत करने में समर्थ है। पुरुषार्थ से ही कोई केवलज्ञानी बन सकता है और अष्ट कर्मों से रहित होकर सिद्ध-बुद्ध - मुक्त बन सकता है। पराक्रम का एक रूप : अप्रमत्तता आगमों में पदे-पदे जीव को प्रमाद रहित होने का ही उपदेश दिया गया है। उत्तराध्ययन सूत्र के दसवें अध्ययन में भगवान् ने अपने प्रमुख शिष्य गणधर गौतम को बार-बार कहा - 'समयं गोयम! मा पमायए' अर्थात् हे गौतम! समय मात्र का भी प्रमाद मत करो। यह संदेश इस बात का सूचक है कि जीव को सदैव सजग रहकर कर्म-क्षय के लिए उद्यत रहना चाहिए । जीवन क्षणभंगुर है अतः उसका उपयोग पूर्वबद्ध कर्मों के क्षय में करना ही मेधावी पुरुष का लक्षण है। आचारांग सूत्र में अप्रमत्त होकर आत्मसाधना में संलग्न रहने का उपदेश दिया गया है- 'पमत्तस्स अत्थि भयं, अपमत्तस्स नत्थि भयं' अर्थात् जो प्रमाद युक्त है उसको भय है एवं जो अप्रमत्त है उसको किसी प्रकार का भय नहीं है। इसी प्रकार आचारांग में अनेक वाक्य प्राप्त होते हैं, जो अप्रमत्तता रूप पुरुषार्थ की प्रेरणा करते हैं • " • • पासिय आतुरे पाणे अप्पमत्तो परिव्व ६ पीड़ित प्राणियों को देखकर तू अप्रमादी होकर गमन कर । विगिंच कोहं अविकंपमाणे इमं निरुद्धाउयं सपेहाए" आयु सीमित है, इस बात को समझकर तू निश्चल रहता हुआ क्रोध को छोड़ । खणं जाणाहि पंडिए" हे पंडित ! क्षण को जानो। • अप्पमत्ते सया परकम्मेज्जासि ०९ अप्रमत्त होकर सदा ( धर्म में) पराक्रम कर। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002509
Book TitleJain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShweta Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2007
Total Pages718
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size11 MB
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