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________________ lv ४७६ ४७८ ४७८ ४७९ ४८० ४८१ मल्लवादी क्षमाश्रमण द्वारा पुरुषवाद का निरसन ४७२ ० पुरुष की चार अवस्थाओं का निरसन ० 'पुरुष एव इदं सर्व' का निरसन. ० पुरुष की अद्वैतता का निरसन ० पुरुष की सर्वगतता का निरसन विशेषावश्यक भाष्य में पुरुषवाद का निरूपण एवं निरसन ४७९ सन्मतितर्क की टीका में अभयदेवसूरि द्वारा प्रस्तुत पुरुषवाद एवं उसका निरसन ० निरुद्देश्य और अनुकम्पा से सृष्टि की रचना अनुचित ४८१ ० युगपत् और क्रमपूर्वक जगत् का निर्माण असमीचीन ४८१ ० अबुद्धिपूर्वक जगत्-निर्माण में प्रवृत्ति नहीं > ब्रह्मवाद : पूर्वपक्ष एवं उत्तरपक्ष प्रमेयकमलमार्तण्ड में ब्रह्मवाद का स्वरूप एवं खण्डन - प्रत्यक्षप्रमाण से ब्रह्मवाद की सिद्धि प्रभाचन्द्र द्वारा निरसन अनुमान प्रमाण से ब्रह्मवाद की सिद्धि . प्रभाचन्द्र द्वारा निरसन • आगम प्रमाण से ब्रह्मवाद की सिद्धि • प्रभाचन्द्र द्वारा निरसन » ईश्वरवाद : पक्ष-प्रतिपक्ष • पुरुषवाद का विकास ईश्वरवाद में - ईश्वरवाद की सिद्धि में साधक प्रमाण x P ४८३ ४८३ ४८४ ४८४ ४८४ ४८५ ४८५ ४८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002509
Book TitleJain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShweta Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2007
Total Pages718
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size11 MB
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