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डॉ. साध्वी प्रमोदकुमारीजी (14) कर्म और कर्मफल का संबंध
108 (15) कर्म से मुक्ति।
109 पंचम अध्याय ऋषिभाषित में प्रतिपादिता मनोविज्ञान (1) मानव मन की जटिलता
110 (2) व्यक्तित्त्व का दोहरापन
110 (3) व्यक्तित्त्व के द्वैत की समाप्ति कैसे?
111 (4) इन्द्रियाँ और उनके विषय
112 (5) इन्द्रिय दमन का तात्पर्य
113 (6) सुख-दुःख प्राणीय अनुभूति के केंद्र
114 (7) दु:ख का स्वरूप
115 (8) दुःख विमुक्ति का उपाय
116 (9) अप्रमत्त दशा का स्वरूप ।
119 (10) कषाय और उसका स्वरूप
121 (11) कषायों की संहारक शक्ति।
123 षष्ठ अध्याय ऋषिभाषित का नैतिक दर्शन (1) ऋषिभाषित की आध्यात्मिक जीवन दृष्टि
125 (2) नियतिवाद और पुरुषार्थवाद का समन्वय
126 (3) ऋषिभाषित में पुरुषार्थवाद ।
129 (4) ऋषिभाषित में पुरुषार्थवाद का समर्थन (5) ऋषिभाषित का निवृत्तिमार्गी जीवन दर्शन
130 (6) नैतिक मानदण्ड
133 (7) नैतिक मूल्यांकन का आधार-बाह्य घटना और मनोवृत्ति। 136 सप्तम अध्याय ऋषिभाषित का साधना मार्ग (अ) ऋषिभाषित के ऋषियों का साधना मार्ग
139 (1) नारद ऋषि द्वारा प्रतिपादित साधना मार्ग
140 (2) वज्जियपुत्त द्वारा प्रतिपादित साधना मार्ग
140 (3) असितदेवल द्वारा प्रतिपादित साधना मार्ग
140 (4) अंगिरस द्वारा प्रतिपादित साधना मार्ग
140 (5) पुष्पशाल ऋषि का साधना मार्ग
141 (6) वल्कलचीरी का साधना मार्ग
141 (7) कुर्मापुत्र द्वारा उपदिष्ट साधना मार्ग
141 (8) केतकीपुत्र द्वारा प्रतिपादित साधना मार्ग
142 (9) महाकाश्यप द्वारा प्रतिपादित साधना मार्ग
142 (10) तेतलीपुत्र का साधना मार्ग
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