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________________ लघी० न्यायवि० प्रमाणसंग्रहान्तर्गतानाम् यस्मिन् सत्येव यद्भावः १२. ८. लिंगलिंगिन् ५४.२०. यावज्ज्ञेयव्यापिज्ञानरहितसकलपुरुष लिंगव्यवस्था परिषत्परिज्ञान २. १०. लिंगसांवतयोः युक्तायुक्तपरीक्षणक्षमधी लिंगादिभेद १२६. १५. युगपत्क्रमभावि ४५. १६; ११८. ३०. लिंगि ५. १०. युगपद्भाविन् १०५. १३, ११९. २४. लिंगिधी युगपद्भिन्नदेशोपलब्ध ११८. २४. लिंगिलक्षण युगपद्भिन्नरूप ८७.४. लिप्यादिवत् १२३. २२. योगिनां गतिः ४०. ३०. लैंगिक ७४. २६; १००. ३०. योगिविज्ञान ५१. २९. लोक २२. १९; ६३. २४; १०४. २६, १२३. १. योग्यतापेक्षानादिसङकेत २१. २२. लोकचक्षुष् ४०. ४. योग्यतालक्षण २. २४; ११९. २२. लोकबुद्धया ६३. १२. योगपद्य ११०.२३. लोकविसंवादशास्त्रागमनिकायादि १०५.१९. रक्त ६७. २; १०२. २६, २८. लोकव्यवस्थिति ५५. ७. रथ्यापुरुष २. १२. लोकव्यवहार १४. १२,८७. १८. रसविशेष ६४. ३. लोकानुरोध ५२. १५. रसवीर्यविपाकादि १२४. १८. । लोकालोककलावलोकनबलप्रज्ञ २६.१७. रसादि ४४. ३०. लोकालोककलावलोकनबलप्रज्ञागणोद्भुति ९४. ८. रागादि ६४. १५, ८९. १. लोकोत्तर २१. ८, ४३. ३०. रागादिप्रतिपक्ष ११६. १६. लौकिक ६. ३,१०३. २५. रागादिसर्वजताभावसाधनसामथ्यवैधुर्य १०४. १७. | वक्ता ७७. १५, २२; १०१. ८. रागादिसाधन ७७. २. वक्तुरकौशल ५३. २३; ५७. १०, रागद्वेष ८८. २५. | वक्तुरभि प्रेत १०. ४. राजकुलवत् ११४. १७. वक्तृत्व १०९ १३. रिक्ता वाचोयुक्तिः १६. १७. वक्त्रभिप्राय ९. १४, २४; २२. १४. ६८. २५ वक्त्रभिप्रायानुविधायिनी १०. ९. रूपज्ञान ११८. १, वक्त्रभिप्रेतमात्र २२. १३ रूपदर्शन २०.१. वचन २२. १३, ८१. ३, १०४. २६. रूपभेद ६१. १४. वचनपुरुषत्वानुपलब्धि १०४.१६. रूपरसगन्धस्पर्शवत्त्व २३. १२. वचनसर्वज्ञकार्यकारणभूत ७८. ७. रूपादि ४४. ७; ६८. २७. वचनहेतु ७७. २४. रूपादिदर्शनाभाव ६४. १२. वचनादि ७६. ३१; १०१. २. रूपादिक्षणक्षयादिस्फुट प्रतिभास ३. १२. वर्ण २२, १०. रूपादिमत्त्व २३. १३. वर्णपदवाक्य २२. १४, ८७. ९, रूपादिविवर्त १०९ २२. वर्णपदवाक्यव्युत्पादकशास्त्र २५. ११. रूपादिविशेषाभाव १०५. ८. वर्णपदवाक्याख्या ८८. २. रूपतर वर्णपदवाक्यानुपूर्वी १०१. ११,११५. २०; लक्षण १२.३;५१.२०,५२.१०, ६७.१०,९९.११. १२४. ३, १२५. २१. लक्षणतया ४. ४. वर्णपदवाक्यानुपूर्वीसंहारातिशय ११८ १३. लक्षणविज्ञान १०५. १९. वर्णपदसारूप्य १२४. २१. लक्षणसंख्याविषयफलोपेतप्रमाणनयनिक्षे वर्णव्यतिरेकवत् १२५. २८. पस्वरूपप्ररूपक २६. २२. वर्णसंस्थानादिमत् ९७. १८. लब्धि २. २३. वर्णानुपूर्वीभेद १२६. २. लब्ध्युपयोग २.२२. वर्णावयवान स्मरणविकल्प १२५. २१. लताचूतादि १०. १२. 'वर्त्तते' इति १००. २७. लाभपूजाख्यातिहेतु ११५. २०. वर्तनालक्षण १६. १४; २५. ६. लिंग २५.७. ५४. १२. लिंग ५.६, १०, १४, ७.८.१०४.१०. वस्तुतत्त्व ४. १७; १०. २५; १६. ७; ८० २३. लिंगप्रतिपत्ति ५. १२. वस्तुधर्म ७६. २८. लिंगभेद १५. १०. | वस्तुबलायाततदर्थान्तर २. ३. रूप वस्तु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002504
Book TitleAkalanka Granthtrayam
Original Sutra AuthorBhattalankardev
AuthorMahendramuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1969
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size21 MB
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