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________________ लाक्षणिक-दार्शनिकनामसूचिः दृष्ट ४९. २२,१०८.९,१७,११४.१२,१२१. २५. | द्रव्य १०९.२२; ११८. २९. दृष्टविपर्यस्त ४८.४. द्रव्यगुणकर्म १३. २१, १२३. ३. दृष्टसजातीयसम्बन्धाध्यवसायनान्तरीयक ९९. १७. द्रव्यगुणकर्मसामान्यविशेषनियम १२१. १२. दृष्टसजातीयाभिलापस्मृति ९८.१३. द्रव्यगुणसमवाय ११७. ११. दृष्टसमानार्थ ११७. २४. द्रव्यपर्याय २२. २७; १२५. २८, १२६. ७. दृष्टसामान्याभिनिबोध १०१. १५. द्रव्यपर्यायनयद्वयप्रविभाग १२५. १. दृष्टहानि ६२. ७. द्रव्यपर्यायपरमाणु १०९. ४. २३. २२. द्रव्यपर्यायाथिक २३. २, १६. दृष्टार्थस्वप्नवत् १५. २५. द्रव्यपर्यायमूल २२. २५. वृष्टान्त ८०. २८. द्रव्यपर्यायसामान्यविधानप्रतिषेध १२२. १६. दृष्टान्त ४३.६८०.३०; १०६.१०. द्रव्यपर्यायसामान्यविशेषप्रविकल्प १२६. १७. दृष्टापरस्वभावाविधान ११२. ३१. द्रव्यपर्यायसामान्यविशेषप्रविभाग ९०.२. दृष्टि १७.७, ५७. २१. द्रव्यपर्यायसामान्यविशेषविषय ११८. ३. दृष्टिपथ १४.९. द्रव्यपर्यायसामान्यविशेषात्मार्थनिष्ठित १६. १३. दृष्टिपथप्राप्त १४.१०. द्रव्यपर्यायसामान्यविशेषार्यात्मवेदन २९. १५. दृष्टेष्टबाधित १२२. १३. द्रव्यपर्यायात्मक ४. १७; १०. २५. दृष्टिमान्द्यादिदोष ५९. १७. द्रव्यपर्यायात्मन् २. २१, ३. २३; ४. १. दृष्टेऽनुपपन्नं ९. २४ । द्रव्यभावेन्द्रिय २. २२. दष्टेष्टयक्तिविरुद्धार्थप्रवचनसमयान्तर ११६. २८. द्रव्यव्यवस्थापन ४. २०. देवता ११५. २९. द्रव्यसामान्यसंहारविषय ९९. २३. देवदत्तो देवदत्ता १५.२०,२४. २६. द्रव्यार्थिक १०. २६, ११.१. दे व न न्दि ११४. २१. द्रव्यादिकार्थ ५२. ६. देवनांप्रियः १२०. १४. द्रव्येन्द्रिय २. २२. देशकाल ५०. ६. द्रव्यं शक्तिस्तदुभयं वा १६. १५. देशकालस्वभावनियम १२. १७; ४३. २३. देशकालस्वभावानियम १००.१९:१०८.२,११५.३. ४५. ४. देशकालादिभेदानुविधायिन् १२४. १. द्वयनिर्भास ३६. २०; ३९. २४. देशकालान्तरव्याप्तस्वभाव ७१. २३. द्वयात्मक ४०. ११. देशादिभेदवत् ५५. २६. द्विचन्द्रादिवत् १२४. २२. देशान्तर ५. ८. द्वित्वादिसंख्याज्ञान ७. २६ देशान्तरप्राप्ति ११९. २०. द्विधैव (प्रमाण) २४. ४. ६२. ४; १०७.११. / द्वीपदेशनदीपर्वतादिक ९.१४. देहानुत्पत्तिप्रसंग ६२.१५. | द्वीपान्तरादि ९. १२. देहान्तरपरिग्रह ६४. २४. द्वे एव प्रमाणे ८. २, ९७. ७. दोषजाति १०१.१२. २१. १६, १७, २३. २०, ७६. ४. दोषत्रय ५३.१२. धर्मतीर्थकर १. ३. दोषप्रभाव ११९. २७. धर्मनैरात्म्य ११४. ९. दोषवती ७७. २९. धर्मादि दोषसम्बन्ध ११९. २८. धर्मान्तर दोषसंक्षय ८९. ५. धर्मान्तराविवक्षा २१. २१. दोषसंश्लेषविश्लेषहेतु १२०.३. मिधर्म २३. २६, १०६. ६. दोषावरणकारण १०१. १०. मिधर्मसन्देह ७७. ४. दोषावरणक्षयोपशमातिशयवश ९८.२९, ११७.२६. धारणा २. २८; ३. १, ५. १. दोषावरणपरिक्षय १०१. २. धिगनात्मज्ञं ८२.१६. दोषावरणपरिक्षयाभाव धी ३१. २२, ३२. २, ६२. २९. दोषावरणक्षयोपशमोदयवृत्ति १२७. ८. | धूमदर्शिन् ११०. ८. द्रवति द्रोष्यति अदुद्रवत् ११. १,४५. ६. ध्यान्ध ६९. १२. द्रव्य ११.१, १३.१,२२.२५, २३.२; ४४. २९, ध्रवत्वापरिणामिन १२२. २७. ४५. ५, ११४. ३०. ध्रौव्य ६६.१४. द्रव्य (निक्षेप) २६. ३. ध्वनि द्वयग्रह देह धर्म ८८. ९. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.002504
Book TitleAkalanka Granthtrayam
Original Sutra AuthorBhattalankardev
AuthorMahendramuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1969
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size21 MB
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