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________________ लघी० न्यायवि० प्रमाणसंग्रहान्तर्गतानाम् तनुकरणभुवनादि १०८. २३. | त्रयः (शब्दनय) २४. २ तन्तु २५. ३. त्रयेण किम् ____७४. १, २, १०४. तन्दुल २५. ४. त्रसस्थावरादिगुणप्रकर्षाप्रकर्ष तन्दुलपाकदिवत् १०६. ६. त्रिकालगोचरसर्वजीवादिपदार्थनिरूपण २५.२ तन्नामप्रतिपत्ति ७.११. त्रिकालगोचरानन्तपर्यादयी ११७. तन्नामविकल्पविकलता १२५. २०. त्रिकालगोचरानेकद्रव्यपर्यायविषय २२. तन्निर्हासातिशयानुविधान १०१. ९. त्रिकालविषय तपस् २६.९,८८.२३,२४,९४.२,११५.२९. त्रिपुरदहनादिवत् ११६. २४ तपोनिर्जीर्णकर्मा २५. २५. त्रिभुवनगुरु तपोवन ४८. ५. विलक्षण १०३. २; १२०. २१ तमस् १९. १५, १७, १८, २०,२९. १०; ३७. ३. विलक्षणयोग तमसोनैधुण्य १०८. २२. त्रुटति तमोविज्ञानाभावप्रसंग १९. १७. त्रैलोक्य ५०. ४; ८२. ३०; ९०. २९ तमोविज्ञानाभावहेतुत्व १९. १८. त्रैलोक्यनाथ ९७.२ तल्लक्षणप्रपंच ७६.८. दधि खाद ८०.७. तस्यतिसम्बन्ध दध्युष्टादेरभेदत्वप्रसंगादेकचोदन ७९. ३०० तादात्म्य ३.१९,२३.२५,४८.२३,६१.७,६७.२४, दर्शन ९८. १३. ७३.१९, ७५.२६, १०५.१२, १०७.१६, दर्शनपाटवादिमत् १०६. ९. ११३.२८, ११४. २९, ३१, १२५. ५. दर्शनविषयसामान्यविशेषात्मन् ११७. २६ तादात्म्यतदुत्पत्ती ५. १६, १०.१०. दर्शनसाकल्यनियम १०९. ९. तादात्म्यनियम ४५. १४. | दर्शनादर्शन ६७. २९. तादात्म्यपरिणाम ११२. २३. दर्शनादर्शनस्थिति ६८. ४. तादात्म्यविवक्षाभाव २३. १८. दर्शनादर्शनाध्यास ८३. ३.० तादात्म्यानतिक्रम ११२. १७. दान ११५. २९. तादात्म्यासिद्धि १०५. ७. दाहात ८१. २०. तादृशवचनादिगुणोपपत्ति १०९. १५. दाहादिसाहस १०५. ९. तामस ११६. १. ! दिग्भागभेद ४१. २२. तामसखगकुल २०. १. दिग्विभाग ९. १५; ११८. १७. ताद्रूप्य २०.६; ३३. २९, ६८. ३०. दीपरश्मिवत् ११८. १. ताम्रादिरक्तिकादि ४४. १५. दीपादिद्रव्यवत् ११८. २८. ताल्वादि १३२. २९. दु:खित ७८. २२, २३. ताल्वादिव्यापाराहितसंस्कार ११८. १४. १० २४; १७. ३. ताल्वादिसन्निधान ८६. २४; ११८. २५. दुर्नय १४. १७, २२; १५.४; २४. २, १३. २० तिमिरादि १६. २१, १२०. ३. दुरन्वय ३८. ४; १०२. २३. तिमिराद्यभाव १८. २८. दुरवगाहार्थतत्त्व ९२.४. तिमिराद्यवग्रह दुस्तरं दौस्थ्यम् १२०. ३०. तिमिराद्युपप्लवज्ञान दूरदूरतरादि ५४. १२; १२५. ३२. तिमिराशुभ्रमणनौयानसंक्षोभादिहेतुत्व दूराक्षार्थज्ञान १५. २६. तिर्यक दूरासन्नकार्यकारणभावप्रतिविधि ११७. २४. तिरोभाव दूरासन्नाक्षबुद्धि १५. १९. तिरोभावासंभव दूरासन्नादिकरणगुणवैगुण्यतारतम्यादिभेद ११५. २. तीक्ष्णशंग ४२. १९. दूरासन्नादिदेशस्थपुरुषकविषयोपलम्भ १०६. ३०. तीर्थकरवचनसंग्रहप्रस्तावमूलव्याकारिन् २३. १६. | दूरासन्नैकार्थप्रत्यक्ष १५. २५. तुलान्त दूषक ९८.२. तुलितद्रव्यसंयोग दृढतरमवबुद्धय २६. ८. तुलोन्नामरसादि ७५. २४; १०७. १५. दृश्यात्मन् तुल्यकालता ७५. २४; १०७. १५. दृश्यादृश्य ११. २५; १२०. २४. तुल्यजातीयसंयोगसमवायिन् ४३. २२. दृश्यादृश्यभेदेतरात्मक तुलोपलादिस्पर्शवैश्वरूप्य १२१. ६१. दृश्यादृश्यात्मकत्व १३. २७. तमिरादिक ८.८, ५२. १. | दृश्यादृश्यात्मन् ४८. २१. दुर्नय १४. . २६. For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002504
Book TitleAkalanka Granthtrayam
Original Sutra AuthorBhattalankardev
AuthorMahendramuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1969
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size21 MB
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