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सम्पादकीयपत्रों की लम्बाई चौड़ाई "१४३४२१" इंच है। एक पत्र में ४ से ८ तक पंक्तियाँ हैं । दो विभाग में लिखा गया है। एक पंक्ति में ६०-६३ अक्षर हैं। ताड़पत्रीय प्रतियों के पत्र प्रायः छोटे बड़े होते हैं। इस प्रति में १३ इंच से लेकर २१ इंच तक के चौड़े पत्र हैं।
लिपि के ऊपर से प्रति १२ वीं सदी की लिखी हुई मालूम होती है। प्रति में लेखक का पुष्पिका लेख नहीं है। प्रति में कहीं कहीं किसी विद्वान् वाचक ने अक्षर सुधारे हैं, अवग्रह, पदच्छेद तथा टिप्पण भी किये हैं। .
. प्रति की लिपि सुन्दर, स्वच्छ तथा स्पष्ट है । हाँ, कुछ अक्षरों में विपर्यास हुआ है। जैसे कि-श के बदले स, स के बदले श बहुत जगह लिखा है । सकल के बदले शकल शास्त्र के बदले सास्त्र इत्यादि । व और ब का भेद तो लेखक ने रखा ही नहीं है । निम्न अक्षरों को समझने में भ्रम होता है-व ध, त्व न्व न्ध, ध्य न ध्य, न्त न्न त, न् न आदि । कहीं कहीं परसवर्ण किया है । व्यंजन न् के बदले नु तथा नु के बदले न् , कु के बट ले क अथवा क्र लिखा है । कर्म धर्म शर्म तर्क सर्व इत्यादि शब्द द्वित्व करके लिखे हैं। प्रति प्राचीन, अखंड तथा सुरक्षित है । कहीं कहीं दीमक के जाने के निशान मालूम होते हैं; पर प्रति के अक्षर खराब नहीं हुए हैं ।
अन्य प्रमाणसंग्रह-मद्रास प्रान्त की प्राइवेट लाइब्रेरियों के सूचीपत्र में निम्नस्थानों पर प्रमाणसंग्रह का पता चला हैकेटलाग नं० १४१७–अन्नस्वामी श्रौति भवानी ( coimbatore )
२३८०-सरस्वती भंडारकमेटी Tiruvalli kkeni ( ट्रिप्लिकेन ) ३१७०-सीताराम शास्त्रियर आस्थानपंडित मैसूर । ५०९८-Attan Alaka PPangar of Alvar Truna Pari (Tinni velly) ५३८७-अन्नस्वामी ऑफ श्रीरंगम् ( त्रिचनापल्ली) ५८०७-विद्वान् श्रीरंगाचारिअर of shri valli Puttur ( Timni velly )
मैंने इन सब स्थानों को जवाबी पत्र लिखे पर कहीं से कुछ भी उत्तर नहीं मिला । मालूम नहीं कि इन स्थानों में प्रमाणसंग्रह अकलंककृत जैन ग्रन्थ है या अन्य कोई अजैन प्रमाणसंग्रह । अडयार लाइब्रेरी के सूचीपत्र में भी प्रमाणसंग्रह का नाम था। खोज करने पर मालूम हुआ कि-वह कोई अजैन ग्रन्थ है और उसमें दायभाग के प्रमाणों का संग्रह है । शास्त्ररसिक महानुभावों को उक्त स्थानों में प्रमाणसंग्रह की खोज करनी चाहिए। ६४. आभार प्रदर्शन
श्रद्धेय प्रज्ञादृष्टि पं० सुखलालजी-आपने अत्यन्त कठिनता से प्राप्त प्रमाणसंग्रह ग्रन्थ के सम्पादनका भार मुझे सौंपा। आपकी अमूल्य तथा मार्मिक सूचनाओं के अनुसार ही इसका सम्पादन किया गया है। आपकी सूक्ष्मदृष्टि एवं सत्साहित्य-प्रवृद्धिविषयक
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