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________________ लघी० न्यायवि० प्रमाणसंग्रहान्तर्गतानाम् गुणी गुणोत्कर्ष क्षय ४४. ९. क्षणिक १२. ६, १५, ७६. १४; १०८.५; | गुणसम्बन्धविवेक १२०.६. ११३.१२. | गुणादिविनाश २६. १०. क्षणिकज्ञान ३. १७, ४८. ७. गुणानां परमरूप १४. ९. क्षणिकत्वविज्ञप्तिमात्रतासन्तानान्तरविवेक १०३.१४. गुणानां वृत्तं चलं १३. २५. क्षणिकपरिमण्डलादि गुणान्तर १०४. १०; १२१. ११. क्षणिकस्वलक्षण १२. २५. १२. २९; ६१. १२; १२४. २३. क्षणिकाक्षज्ञानज्ञेय १५. २०. गुणीभूत २३. २३. क्षणिकात्मन् ७२. ९. १०९. १८. क्षणिकादि गुरूपदेशपरम्परायथावदधिगत २६. २१. क्षणिकैकान्त १२. ३. गृहीतग्रहण ३. ८; ५८. १८; ७५. ५, ९२. २१. ८८. २१; १२२. ६. गृहीताभि मुख्य २६. ३. क्षयदर्शन ११२. ३१; १२०. २३. गेहप्रदीप ६२. २६. क्षयोपशमविशेषापेक्षा १२७. १४. गोचरनिर्भास ४३. १३. क्षीणावरण ११६. २५. गोत्वादि १३. २३. क्षीराद्य ४४. २१. गोपुराट्टालिकादि ४३. ११, ६२. २३. खपुष्पवत् २. ११; ११४. १. गौरवाधिक्यतत्कार्यभेद खरविषाणवत् २४. ४. गौरिव गवय इति ७.१०. खलस्नेह १२१. १८. ग्रहण २. २१५. २४, २०.१४. गण्डपदभय १०८. १५. ग्रहादिगति ८५. १५, १२४. १८. गतिस्थितिकरणविघात ११८. २. ग्रामधानकमेतन्नामक ७.१९. गन्धादि ग्राह्यग्राहक ३३. २९, ४०. १३, ११०. १४. गरिष्ठ १०८. १७; ११४. १२; १२१. २५. ग्राह्यग्राहकभावसिद्धि २०. १९. गरीयसी ४२. २८. ग्राह्यग्राहकविप्लवनिवृत्ति १०९.२८. गर्भ ग्राह्यभेद ३४. २०. गर्भाण्डमूछितादिवत् १२७. ९. घट २५. ३, ४४. २१. गवयदर्शिन् ७. १०, ११. घटादि १८. १३; ६३. ५. गवयोध्यमिति ७.१०. चक्रक ४८. १४, १२६. २. गवादिवत् १२४. ६. चक्षुरादि ६४. १३,७८. १७, १०७. ६, १०८. ९. गवादिविकल्पोपजनन १२४. १. | चक्षुरादिज्ञान ९७. १८, १०२. १२; १०९. २१. गुण १२. २९; ४५. ५, ४९. २२; ६०. २५, ६१. ६, चक्षुरादिधी ३०. १५. १२, ९८. २०१०३. १०. | चक्षुरादिवत् ९३. १५. गुणकर्मसामान्यविशेष २३. ९. चक्षुर्ज्ञानप्रतिषेधक १९. १७. गुणगुणिन् १३. १४; २३. २५, २६, १२४. २२. | चक्षुष् ३५. ५,११८. १६. गुणगुणिविनाश २६.१०. चतुर्धा ( निक्षेप ) २५. २९. गुणगुण्यादि १३. २५. चतुर्विध ( मतिज्ञान ) २.२८. गुणदोष ८२. ८८३. २९; ९१. २३; १०१. ७, | चतुर्विध (सत्य) ८८. १८. ९,१११. १; १२७. १६. चतुःसत्यभावनादि ५१. २७. णदोषवतोः ८८. २५. चतुरस्रधी ७४. ७. गुणद्वेषिन् २९. १०. | चत्त्वारः ( अर्थनय ) २४. २३. गुणपक्ष ६३. ७. चन्द्र ५. २०, २१. गुणपर्यय ४५.४; १२१. १८. चन्द्रदेशकालगतिनियमवत् १२४. ८. गुणपर्ययवद्र्व्य १४. २०; २४. १०, ४४. २९; चन्द्रादि ८.१०.९८.१५, ११५. ३. ११४. ३०, ११८. २०. चन्द्रादिवस्तुनिर्भास ८. १४. गुणप्रधानभाव २३. २०, २६. चन्द्राक्पिरभाग ७५. २९. गुणप्रवृत्त १४. ७. चरणादिवत् ५०. ८. गुणभाव ६२. ८. चरितार्थ ४२. २२. गुणयोगनिवृत्ति ८३. २१. चल १४. ७, ६७. १,१०२. २५, १०८. २३, गुणयोगवियोग १२२. १३. २७, ३०, १०९. १, २. गुणवत् चाक्षुषत्व ६८. २५, १०९. २३. गुणसम्बन्ध ६१. ६. चाक्षुषत्वादि ७८. ३०, १०४. ६, १०९. २१. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002504
Book TitleAkalanka Granthtrayam
Original Sutra AuthorBhattalankardev
AuthorMahendramuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1969
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size21 MB
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