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घी जैन ग्रन्थ मा ला
भावावावावावावा॥ ग्रन्थांक १२ ॥ वववववववववववव श्रीमद्भट्टा कलङ्कदेवविरचितम्
अकलङ्कङ्ग्रन्थत्रयम् प्रीयस्त्रयम्, न्यायविनिश्चयः, प्रमाणसंग्रहश्च ]
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SRI DALCHAND JI SINGHI
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चन्द्र जी. संघी
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श्री जिनविजय सुनि 00000
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