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अहमदाबाद में विराजमान पू. आ. म. श्री विजयशान्तिचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजश्री के विद्वान् प्रभावक शिष्यरत्न पू. पंन्यासजी म. श्री सुज्ञानविजयजी गणिवर श्री ( पू. आ. म. श्री विजयसोमचन्द्र सू. म. श्री ) ने, जो शेषकाल में वैशाख महीने में राधनपुर पधारे थे और जिन्होंने इस कुप्रथा का बहिष्कार करने हेतु संघ को दृढ़ता और निर्भयता की प्रेरणा दी थी, भी अपना शुभ संदेश इस प्रसंग पर भेजा था ।
उस सन्देश में उन्होंने पूज्य पंन्यासजी महाराजश्री का उक्त प्रणाली की शुभ शुरुआत करने हेतु अभिनन्दन किया है जो उनके गुणानुरागी मानस को तथा शासन मान्य प्रणाली के प्रचार हेतु लगन को सूचित करता है । वे अपने सन्देश में कहते हैं कि, 'आपश्री ने राधनपुर में साहस करके मार्गरक्षण का जो भागीरथ प्रयत्न निर्भयतापूर्वक किया है उसके लिए आपश्री को बहुत-बहुत धन्यवाद है । आपश्री का प्रयत्न शासनदेव की कृपा से बहुत ही सफल रहा है । ऐसा लक्ष्य देने वाले आपश्री जैसे विरल व्यक्ति ही होते हैं । दाक्षिण्यता में खिंचकर श्रावकों को अच्छी लगने वाली बात कहकर वाहवाही लूटने वाले व्यक्ति शासन की यथार्थ प्रणालियों को खोते जा रहे हैं । आप पूज्य श्री शासन-पक्ष को मजबूत बनाने हेतु समुचित प्रयास करेंगे, ऐसी आशा भी असंभक्ति नहीं ।'
ता. ७-१०-६६ ( वि. सं. २०२२ )
इसी तरह पाटन - सागर के उपाश्रय में विराजमान सरलस्वभावी सिद्धान्तनिष्ठ पू. आ. म. श्री कीर्तिसागर सूरीश्वरजी महाराज तथा उनके विद्वान् शिष्यरत्न पू. मुनिराज श्री त्रैलोक्यसागरजी महाराज ने भी राधनपुर में शुरु हुई इस शुभ प्रणाली
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[ स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य