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आ. श्री विजयहिमाचलसूरि ह. स्वयं आ. विजयभुवनतिलकसूरि ह. स्वयं . आ. विजयचन्द्रसागरसूरि ह. स्वयं
वि. सं. २०१४ सन् १९५७ के चातुर्मास में श्री राजनगर (अहमदाबाद) में रहे हुए श्री श्रमण संघ ने डेला के उपाश्रय में एकत्रित होकर सात क्षेत्रादि धार्मिक व्यवस्था का शास्त्र तथा परम्परा के आधार से निर्णय किया उसकी नकल :
देवद्रव्य
१. जिन प्रतिमा, २. जैन देरासर ( मन्दिर )
देवद्रव्य की व्याख्या :
. प्रभु के मन्दिर में या मन्दिर के बाहर-चाहे जिस स्थान पर प्रभु के पंच कल्याणकादि निमित्त तथा माला परिधापनादि देवद्रव्य वृद्धि के कार्य से आया हुआ तथा गृहस्थों द्वारा स्वेच्छा से समर्पित किया हुआ धन इत्यादि देवद्रव्य कहा जाता है।
स्वप्नद्रव्य; देबद्रव्य ]