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________________ (१२) श्री जैन विद्याशाला, बिजापुर (गुजरात) लि. आचार्य कीर्तिसागरसूरि, महोदयसागरगणि आदि ठाणा ८ की तरफ से श्री वेरावल मध्ये देवगुरु-भक्तिकारक शा. अमीलाल रतिलाल भाई आदि योग्य - धर्मलाभ पूर्वक लिखना है कि आपका पत्र मिला । पढ़कर और समाचार जानकर आनन्द हुआ है । हम सब सुखशांता में हैं । आप सब सुखशाता में होओगे । आपने लिखा कि स्वप्न, पारणा, घोडियां तथा उपधान की माला को बोलो का घी किस खाते में ले जाना ? इसका. उत्तर है कि पारणा, घोडिया तथा श्री उपधान की आय या घी देवद्रव्य खाते में ले जाई जाती है । साधारण खाते में नहीं ले जाई जाती । अतः उपधान आदि घो को आय देवद्रव्य में ले जानी चाहिए | धर्मसाधन करियेगा । (१३) पथिया का उपाश्रय, हाजा पटेल की पोल अहमदाबाद, श्रावण सुदी १४ सुश्रावक अमीलाल रतिलाल योग धर्मलाभ पूर्वक लिखना है कि देवगुरु प्रसाद से यहां सुखशाता है । तारीख १०-१-५४ का लिखा हुआ आपका पत्र मिला । समाचार जाने । इस विषय में लिखना है कि चौदह स्वप्न, पारणा, घोडियां सम्बन्धी तथा उपधान की माला सम्बन्धी आय देवद्रव्य में आती है । साधारण खाते 22 ] [ स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य
SR No.002500
Book TitleSwapnadravya Devdravya Hi Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakchandrasuri, Basantilal Nalbaya
PublisherVishvamangal Prakashan Mandir
Publication Year1984
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size8 MB
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