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साधारण खाते में घाटा होने की आवाज अनेक स्थानों पर सुनी जातो है परन्तु आप जैसे जबाबदार धर्मरुचि वाले व्यक्ति धारें तो अकेले ही इतनी रकम दे सकते हैं जिसके ब्याज से ही ऐसे प्रकीर्ण खर्च निभाये जा सकते हैं और अपने दृष्टान्त से दूसरों को भी प्रेरणा दे सकते हैं । जब इसी समाज को खर्च निभाना है तो पहले ही साधारण खाते के लिए भी अच्छी पानड़ी कर लेना हितावह होता है।
__ हमने आपके जैसे प्रस्ताव कई जगह पर किये जाने की बात सुनी है परन्तु जहां तक हमारी आवाज पहुँच पाई है, हमने वस्तु की सही जानकारी देकर साधारण खाते की अलग ही आय करवाने का प्रयास किया है और गुरुकृपा से कई स्थानों पर सफलता भी मिली है।
कई स्थल ऐसी भी दृष्टिगोचर होते हैं जहाँ के व्यवस्थापक अपनी बुद्धि के अनुसार अमुक व्यवस्था वर्षों तक चलाते रहते हैं और जब स्थिति साफ बिगड़ जाती है तब मुनिराजों के पास शिकायत करते हैं जिसका परिणाम अरुण्य-रुदन के अलावा
और कुछ नहीं निकलता। धर्मकार्य लिखियेगा । धर्मकार्य में उद्यमशील रहें।
-क्षमाविजय कदाचित् हमारे अक्षर बराबर पढ़ने में न आए, इसलिये गुजराती में पत्र लिखवाया है । वस्तु-स्थिति का विचार कर वहाँ के संघ को कल्याणकारी प्रवृत्ति में कायम रखना।
खम्भात, सूरत आदि प्राचीन प्रणालिका की रुचि वाले नगरों में ऐसी गड़बड़ नहीं होती हैं।
स्वप्नद्रव्य; देवद्रव्य ]
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