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पालनपुर के श्री संघ द्वारा पूछे गये प्रश्न और पू. मुनिराजश्री हंस विजयजी महाराज द्वारा दिये गये उत्तर उनश्री के हस्ताक्षरों में यहाँ प्रथम बार ही प्रसिद्ध हो रहे हैं। प्रसिद्ध हो रही इस प्रश्नोत्तरी में से स्वप्नों की उपज तथा देवद्रव्य आदि की व्यवस्था के सम्बन्ध में बहुत कुछ जानने को मिलता है । पालनपुर के श्रीसंघ ने कुल आठ प्रश्न पूछे हैं । उनमें वर्तमान में चर्चनीय बहुत सी बातों का शास्त्रानुसारी संतोषजनक प्रत्युत्तर उनसे मिल जाता है। इस पुस्तिका में उनके मूल हस्ताक्षरों के ब्लाक भी छपे हैं जिनसे स्पष्ट प्रतीति होती है कि- पू. पाद आत्मारामजी महाराजश्री के समुदाय में स्वप्न की उपज देवद्रव्य ही गिनती थी तथा अन्य भी देवद्रव्य आदि की व्यवस्था में पहले से ही शास्त्रानुसारी प्ररूपणा चालू थी ।'
- बाद में चाहे जिन कारणों से आ. म. श्री विजयवल्लभसूरिजी महाराजश्री की मान्यता में परिवर्तन आया परन्तु वह प्. पाद आत्मारामजी महाराजश्री के समुदाय की शास्त्र मान्य प्रणाली से विरुद्ध और अशास्त्रीय था, यह कहने में तनिक भी अतिशयोक्ति नहीं है, ऐसा अवश्य माना जा सकता है ।
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जो ब्लाक यहाँ दिये जा रहे हैं, वे पू. पाद आत्मारामजी महाराजश्री के शिष्यरत्न प्रवर्तक मुनिराज श्री कान्तिविजयजी महाराज श्री के विद्वान शिष्यरत्न मुनिराज श्री चतुरविजयजी महाराजश्री के हस्ताक्षरों के दो ब्लाक है । ( श्री चतुरविजयजी
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[ स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य