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हैं और न अन्य गांवों के मंदिर या तीर्थ स्थलों में जीर्णोद्धारादि के कार्य में उपयोग करते हैं। केवल देव द्रव्य का संग्रह कर उसके उपर अपना अधिकार जमाए रखते हैं इस तरह करने से ट्रस्टी वर्ग घोर पाप का बन्ध करते हैं, ज्ञानी भगवन्त कहते हैं कि उनके जनम जनम बिगड़ जाएंगे । नरकादि दुर्गति में असह्य यातनाए भोगनी पड़ेगी । धन सम्पति रगड़े झगड़े का मूल है। ट्रस्ट में धन सम्पति ज्यादा प्रमाण में जमा हो जाती हैं, तब ट्रस्टी वर्ग परस्पर झगड़ते हैं अथवा संग्रहित देव द्रव्य को मंदिरादि में न लगाकर उपाश्रय, धर्मशाला, भोजन शाला, सस्ते भाड़े की चाली, बिल्डींग बनवाने आदि कार्य में लगा देते हैं जो अत्यंत ही शास्त्र विरुद्ध ' है और गाढं पाप बन्ध का कारण है ।
देवद्रव्यादि का संचालन कैसे हो ? * १८