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छुडाने के लिये अनेक उपाय किये, परन्तु सब निष्फल हुए। राजा ने कुमार को बहुत कुछ शिक्षा भी दी, परन्तु उसने एक न मानी । अन्त में राजा ने उसे देश से निकाल दिया, परन्तु तो भी कुमार ने व्यसनों का त्याग नहीं किया ।
देश से निकाला जाने के बाद कुमार अनेक देशों में भ्रमण करता हुआ। शिवपुर नगर में आया। वहां चंपक नामक सेठ ने उसके सुन्दर रूप व आकार को देखकर समझा कि यह कोई उत्तम पुरूष है तथा इसका शरीर बढा ही सुकुमार है, इस से परिश्रम का काम नहीं हो सकेगा, यह विचार करके सेठ ने उसको अपने घर के पास एक देवालय था, उसकी पूजा करने के लिये अपने घर रख लिया । परन्तु कुमार तो दुष्टात्मा था. वह भगवान के सन्मुख रक्खे हुए चावल, सुपारी, फलादिक जो कुछ भी होवें उनको गुप चुप बेचदिया करता, और उससे जो द्रव्य उत्पन्न होता था उससे जूंआ खेलता । जब इस तरह बहुत दिन व्यतीत हो गये, तब इस बात की चंपक सेठ को खबर हुई तो सेठ ने कुमार से कहा कि हे