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श्री कृष्णनी पटराणीओ, लोभाववा तमने मथी, त्यारेय अंतरमा तमारा, कामज्वर आव्यो नथी; हे काम विजयी नाथ मारो, कामरोग निवारजो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो...
श्यामल छबी प्रशमाद्र नयनो, रूप आ रळियामj, मुखडु, मनोहर आकृति, रमणीय स्मित सोहामणुं; आ सर्व अंतिम समयमां, मुज नयनमा अवतारजो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो...
.हे नाथ तृष्णा अग्निए, जनमोजनम बाळ्यो मने, स्नेहाळ नयनोमा डुबाडी, प्रभु तमे ठार्यो मने; छे झंखना बस एक के, मुजने भवोभव ठारजो हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो...
आ क्रोध पिशाच नड्यो छे, आकरो प्रभु जाणजो, झाझं कहुं शुं तुजने, छो ज्ञानरुपी भाणजो; अमी नजर फेंकी वात्सल्य देइ, क्रोध मुज विदारजो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो...
पडिमा बनावू जगमही, सवि मूरति ने जुहारवा, तुं सहाय करजे मुजने, भवजलधिमांथी तारवा; वीतराग सह श्री संघ भक्ति, पामवा भवपार जो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो...