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________________ हे नेमिनाथ जिनेन्द्र राग : मंदिर छो मुक्ति तणां शौरीपुरी गिरनारमां, कल्याणको ताहरा थया, तेज वालम परोली, भोरोलमा भासित थया; कुंभारीयाजी देलवाडे, वंदना अवधारजो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो महाशंख फुंकी शत्रुओनी, शक्तिओ सौ संहरी, रणभूमि पर श्री कृष्णना, महासैन्यनी रक्षा करी; बस आ रीते हे नाथ, आंतर शत्रु मुज संहारजो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो राजीमति भूली गइ ते, स्नेह संभार्यो तमे, राजीमतिनो वण कह्यो, आत्मा प्रभु तार्यो तमे; हुं रोज संभारु तने, क्यारेक तो संभारजो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो पोकर पशुओना सुणी, सहुने प्रभु तमे उद्धर्या, दीक्षा लइ केवल वरी, बहुने प्रभु तमे उद्धर्या; मारी विनवणी छे हवे, मुजने प्रभु उध्धारजो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो... ૨૦ ...१ ...२ ...३ ...४
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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