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औसो चिद्रस दीयो गुरु मैया ( राग : मैली चालर ओढके... ) औसो चिद्रस दीयो गुरुमैया, प्रभु से अभेद हों जाउं मैं, अब अंधकार मिटा दो गुरुमैया, सम्यग् दर्शन पाउ मैं... प्रभु स्वरुप है अगम अगोचर, कहो कैसे उसे पाउ मैं, करो कृपा करुणामय सिंधु, मैं बालक अज्ञानी हुं... शिवरस धारा वरसावो गुरु मैया, स्वार्थ व्याधि मिटावो रे, सवि जीव करु शासन रसिया, औसी भावना भावु मैं... सिद्धरस धारा वरसावो, गुरुमैया, परमातम को पाउ मैं, आनंदरस वेधक करके गुरुजी, परमानंद पद पाउ मैं,
विश्व कल्याणनी प्यारी गुरुमैया, तेरी कृपा मे खो जाउं मैं, दो औसा वरदान गुरुजी, तेरे गुणको ध्यावुं मैं.
कोटि कोटि वंदन...
(राग : कोई जब तुम्हारा हृदय तोड दे )
कोटि कोटि वंदन, गुरुवर तमोने, तमे पंथ साचो बताव्यो अमोने (२) करी छे विनंती अमे तो विभुने, उमर लागी जाये अमारी तमोने; छे अर्पण समर्पण जीवन आ तमोने... तमे पंथ साचो.
तमारो से विश्वास कदीना भूलीशुं, तमे जे कह्यो ते ज मारग ग्रहीशुं; हशे श्वास त्यां सुधी तमने पूजीशुं, अहर्निश तुम गुण स्मरण करीशु... छे अर्पण समर्पण
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