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आ जीवनना दरिये वहेती, तृष्णा केरी धारा, उपराउपरी मोजां आवे, केम तरे तरनारा ? बेना रे...
अनी सामे ओक ज साचो संयमनो आधार,
अक हसे छे आंख अमारी, बीजी आंख रडे छे, सन्मार्गे तुं जाय परंतु, अमने वियोग पडे छे,
बेना रे...
रडता हैये हसता मुखे, दईओ छीओ विदाय.
आज अमारा पुण्य अधूरा, आवी शक्या ना जोडे, बोध हवे तुं देजे ओवो जे बंध अमारा तोडे,
बेना रे...
तारे पगले पगले चाली करशुं सागर पार,
संयमनी नावमां...
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संयमनी नावमां...
संयमनी नावमां....
हुं जउं छं....
( राग : खुश रहो हर खुशी है - सुहागरात )
हुं जाउं छं गुणियल गुरुना घरे, आंसुडां आंखमांथी शाने झरे ? हुं जउं छं...
हैयां शाने तमारां बने छे दुःखी ?
शाने चहेरा उपर आ उदासी उठी ?
जे प्रभु लीधो पंथ ओ हुं लडं,
नाम रोशन करे से दिशामां जउं छं... जउं छं...