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________________ रागद्वेषना आ दरियामां कैंक जीवो खेंचाय छे, - ने अधवच डूबकां खाय छे. ओ आत्माने वंदन हो जे समये जागी जाय छे, ने डूबतां उगरी जाय छे. संयमनो सथवारो लईने (२) भवनो सागर तरवा जाय, आज अने आपीओ.... - | संयम जीवननो... संयम जीवननो लीधो मरागडो, प्रभु तारा जेवा थावाने (२) कोई कहे गांडो, कोई कहे डाह्यो, प्रभु तारा चरणोमां रहेवाने, संयम.... दुःखना डुंगर तूटी पडे पण, कर्मोनां बंधन तूटे छे ज्यारे (२) लीला लहेर छे प्रभुना पंथे, मोक्षना मार्गे जावाने (२) कोई कहे... पूर्व जन्मना आव्या उदयमां, वीरनुं शासन पाम्या रे त्यारे (२) जिनशासननी छे बहिलारी, मुक्तिना पंथे जावाने (२) कोई कहे... दुःखियाने दुःख हरनारा, सुखिया ने ते सुखी करनारा (२) गीतो रे गाय छे, दास तमारा, प्रभुजी तमने रीझववाने... कोई कहे... बेना रे.. (राग : बेना रे... पारकी थापण) बेना रे.., आज अमारां अंतरमांथी आवे छे उद्गार, संयमनी नावमां तरजे संसार, बोले छे आज, सखीओनो प्यार. संयमनी नावमां...
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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