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________________ जेना तेजे दीप धरमनो झळके छे, किरणो जेना कुंदन जेवा चमके छे, अ ज्योतनो जगमां सहु जयकार करे छे, सन्मान करे छे, साधु बने कोई..... आशा अना अंतरनी फळवानी छे, माळा अने मुक्तिनी मळवानी छे, मुक्तिगामीने सहु फूलहार करे छे, सन्मान करे छे, साधु बने कोई.... साधनाना पंथे आजे... ( राग : साथियां पुरावो द्वारे - मेना गुर्जर ) साधनाना पंथे आजे ओक ऊंचो आत्मा जाय, आज अने आपीओ अंतरना रुडा आशीर्वादो, वहेली वहेली मळजो ओने मुक्ति मंझिल (२) साधनाना पंथे... ज्यां जुओ त्यां लोको आजे सुखना साधन मागेछे, ने दुःखथी छेटा भागे छे. विरला कोई नीकळे छे जे सुखसामग्री त्यागे छे, ने कष्ट कसोटी मागे छे, वडलानो छांयो छोडीने (२) रणना रस्ते तपवा जाय, आज अने आपीओ... धर्मतणा मारगमां जातां लोको हांफी जाय छे, ने वचमां बेसी जाय छे. अभिनंदन से आत्माने जे लांबी सफरे जाय छे, ने हों होंश जाय छे. नानुं अवुं बाळक जाणे (२) मोटो डुंगर चढवा जाय, आज अने आपीओ... २७४
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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