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कायाना दर्दरुपे मने पीडवा लाग्या छे,
.. समताथी...
आ ज्ञान रहे ताजु, अवुं सिंचन जळ देजो... समताथी ... दर्दोनी आ पीडा रडवाथी मटशे नहि, हुं कल्पांत करूं तो पण आ दुःख तो घटशे नर्हि, दुर्ध्यान नथी करवुं अवुं निश्चय बळ देजो... आ काया अटकी छे नथी थातां तुज दर्शन, ना जई शकुं सुणवाने गुरुनी वाणी पावन, जिनमंदिर जावानुं फरीने अंजळ देजो... समताथी... नथी थाती धर्मक्रिया अनो रंज घणो मनमां,
दिलडुं तो दोडे छे पण शक्ति नथी तनमां, मांरी होंश पूरी था छोने आ दर्द वधे, हुं मोत नही मागुं
ओवो शुभ अवसर देजो ... समताथी...
वळी, छेल्ला श्वास सुधी हुं धर्म नहीं त्यागुं, रहे भाव समाधिनो ओवी अंतिम पळ देजो ... समताथी...
व्हाला मारा हैयामां...
( राग : आंधळी मानो कागळ)
व्हाला मारा हैयामां रहेजे.... भूलुं हुं त्यां तुं टोकतो रहेजे
व्हाला मारा.
मायानो छे कादव ओवो, पग तो खूंची जाय हिमत मारी काम ना आवे, तुं ज पकडजे बांय
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व्हाला मारा.
मरकट जेवुं मन आ मारुं, ज्यां त्यां कूदका खाय मोह मदिरा उपर पीधो ने.... पापे प्रवृत्ति थाय
व्हाला मारा.
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