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देवुं पताववा आव्यो जगमां, देवुं वधतुं जाय, छूटवानो एक आरो हवे तो, तुं छोडे तो छुटाय
व्हाला मारा.
भक्त हृदयनुं दर्द हवे तो... मुखे कह्युं ना जाय सोंप्युं में तो तारा चरणमां... थवानुं होय ते थाय
व्हाला मारा.
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अब सौंप दिया...
अब सोंप दिया ईस जीवन को भगवान तुम्हारे चरणो में, में हुं शरणागत प्रभु तेरा रहो ध्यान तुम्हारे चरणो में... मेरा निश्चय बस एक वही मैं तुम चरणों का पूजारी बनुं; अर्पण करूं दूं दुनियाभर का सब प्यार तुम्हारे चरणों में... अब. मैं जग में रहुं तो जैसे रहुं... ज्युं जल में कमल का फूल रहे; है मन वच काय हृदय अर्पण भगवान तुम्हारे चरणों में... अब जहां तक संसार में भ्रमण करूं तुज चरणों में जीवन को धरं; तुम स्वामी मैं सेवक तेरा धरूं ध्यान तुम्हारे चरणों में... अब. मैं निर्भय हुं तुज चरणों में आनंद मंगल है जीवन में; रिद्धि सिद्धि और संपत्ति मिल गई है प्रभु तुज चरणमों में... अब. मेरी इच्छा बस ओक प्रभु ओक बार तुजे मिल जाउं मैं; इस सेवक की हर रगरग का हो तार तुम्हारे हाथों में... अब.
बधी मिलकत तने धरं तो पण
बधी मिलकत तने धरूं तो पण, तारी करुणानी तोले ना आवे ... तें मने प्यार जे कर्यो भगवंत, माराथी अनुं मूल ना थाये...
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