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________________ दर्शन करवाने अमे (राग : महेंदी रंग लाग्यो..) दर्शन करवाने अमे आवियाने, कांई आंगीनो रुडो बन्यो ठाठ रे... आव्या दर्शन करवा... समुद्रविजयना नंदजी रे, काई नेमकुमार रुडा नाम रे... आव्या दर्शन करवा... शिवादेवी कूखे अवतर्या ने, कांई शोभे रतन समान रे... आव्या दर्शन करवा... उत्तमकुलमा अवतर्याने, . वाले नवखंड राख्या नाम रे... आव्या दर्शन करवा... माथे मुगट मोती जड्याने, कांई काने कुंडल सार रे... आव्या दर्शन करवा... बांहे बाजुबंध बेरखाने, कांई कंठे नवशेरो हाथ रे... आव्या दर्शन करवा.... हाथनी ते कल्ली हीरे जडीने, काई सफल बीजोरु हाथ रे... आव्या दर्शन करवा... केडे कंदोरो हेमनो रे, कांई घुघरी घमकार... आव्या दर्शन करवा.... दांत सोहे दाडमकळी रे, कांई अधर प्रवाळानो रंग रे... आव्या दर्शन करवा... पाये ते मोजडी मोती जडी रे, कांई रेशमीओ सुरवाल रे... आव्या दर्शन करवा... लीली घोडीने पीळो चाबखो रे, कांई पातळियो असवार रे... आव्या दर्शन करवा... - १८.
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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