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सुणी पोकार पशुडा पाडता, प्रभु रथने पाछो वाळता,
वसिया जई गढ गिरनार...
धुं संयम केवळ मोक्षे गया, दीक्षा लीधी राजुल संगे गया,
माणेक वंदन वारंवार ....
भावना जागी छे
( राग : लगनी लागी छे अगनी जागी छे.)
भावना जागी छे यात्रा करवी छे
नेमिनाथ दरशन काज...
शाश्वत गिरनार स्पर्शी क्यारे हुं पावन थाउं, नेमिनिरंजन भेटी पापोने मारा पखाळं, अंतरनी आशने... आशने पूरजो प्रभु तमे... मुक्ति थकी पण भक्ति लागे छे मुजने व्हाली, नेमीश्वरना चरणे पामुं छं हुं प्रेमनी प्याली, सुमीरनना श्वासथी... श्वासथी समर्या करु तने... छूटे भले आ जीवन पण तारी भक्ति ना मूकुं, तारा पावन खोळे हुं पुष्प बनीने महेकुं, आतमनी हर आश छे... आश छे अर्पण प्रभु तने...
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