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रोवे राजुल नारी रे, अनो प्रितम पाछो जाय
अक राजकुमारी रे...१ मनने मांडवे तोरण बांध्या, महेलो झरुखा शुं शणगार्यां रे, सूना छे शणगारो सघळा, मंडप खावा धाय,
- अनो प्रीतम पाछो जाय...२ ।। नेम सुणे पशुओनी वाणी, अने करुणा दिल उभराणी रे, मारे काजे कैंक जीवोना, जीवन सळगी जाय,
अनो प्रीतम पाछो जाय...३ दुःखियारी कहे राजुल नारी, जनमोजनमनी प्रीत विसारी रे, कोडभरीना कोड अधूरा, हैयुं बळी बळी जाय,
. अनो प्रीतम पाछो जाय...४ मारे जीवन मुंजने प्याएं, अq सहुने जीवन प्याएं रे, राजुल चालो संयम पंथे, जन्म सफळ बनी जाय,
फेरा फरवाना टळी जाय...५ . दुःखदायी सहु पातक छूट्या, संसारना ज्यां बंधन तूट्या रे, केवल पामी मुक्तिनगरना मंगल पंथे जाय,
ओनो प्रीतम पाछो जाय... ओक राजकुमारी रे...६
आ नेम प्रभु के चरणों में... (राग : जहाँ डाल डाल पर सोने की..)
यदुवंश समुद्रेन्दु कर्मकक्ष हुताशनः;
अरिष्टनेमि भगवान्, भूयाद् वो रिष्टनाशन. आ नेम प्रभु के चरणों में तुं, झुकले ओ अभिमानी, तेरी दो दिनकी जिन्दगानी (२)
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