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४५. सहसावनमां नेमिनाथ भगवाननी दीक्षा अने केवळज्ञान कल्याणको
थया हता.
४६. सहसावनमां (लक्षारामवन) करोडो देवताओ द्वारा श्री नेमिनाथ भगवानना प्रथम अने अंतिम समवसरणनी रचना करवामां आवी हती अने प्रभु प्रथम तथा अंतिम देशना आपी हती. ४७. सहसावनमां सोनाना चैत्योनी मनोहर चोवीसीनुं निर्माण करवामां
आव्युं हतुं.
४८. सहसावनमां कृष्णवासुदेव द्वारा रजत, सुवर्ण अने रत्नमय प्रतिमायुक्त त्रण जिनालयोनुं निर्माण थयुं हतुं.
४९. सहसावन (लक्षारामवन) नी एक गुफामां भूत- भावि अने वर्तमान • एम त्रण चोवीसीना बोंतेर प्रतिमाओ बिराजमान छे. ·
५०. सहसावनमां श्री रहनेमिजी तथा साध्वी राजीमति श्रीजी आदि मोक्षपदने पाम्या छे.
५१. सहसावनमां हाल संप्रतिकालीन श्री नेमिनाथ परमात्मानी प्रतिमा, श्रीवित स्वामि नेमिनाथयुक्त अद्भूत समवसरण मंदिर छे. ५२. गिरनार गिरिवरनी पहेली ट्रंके हाल चौद-चौद बेनमून जिनालयो गिरिवर तिलक समान शोभी रह्या छे.
५३. भारतभरमां मूळनायक तरीके तीर्थंकर न होय तेवा सामान्य केवली सिध्धात्मा श्री रहनेमिनुं एक मात्र जिनालय गिरनार गिरिवर उपर छे. ५४. श्री हेमचंद्राचार्य, श्री बप्पभट्टसूरि, श्री वस्तुपाळ - तेजपाळ, श्री पेथडशा आदि अनेक पुण्यात्माओने सहाय करनार गिरनार महातीर्थना अधिष्ठायिका श्री अंबिकादेवी आजे पण हाजराहजुर छे.
५५. ज्यां सुधी गिरनारनी यात्रा नथी करी त्यां सुधीज जीव सर्वपाप, सर्व दुःख अने संसार भ्रमण करे छे.
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