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________________ २८. गिरनार महातीर्थना शिखर उपर रहेला कल्पवृक्षो याचकोनां इच्छितने पूरे छे ते आ गिरिनो ज महिमा छे अहीं रहेला गिरिओ, नदीओ, वृक्षो, कुंडो अने भूमिओ अन्यस्थाने रहेला एक तीर्थनी माफक अहीं तीर्थपणाने पामे छे अर्थात् ते बधा पण तीर्थमय बनी जाय छे. २९. गिरनार महातीर्थमां पुण्यहीन प्राणीओने नहीं देखाती एवी सुवर्णसिद्धि करनारी अने सर्वइच्छितफलने आपनारी रसकूपिकाओ रहेली छे. ३०. गिरनार महातीर्थनी माटीने गुरूगमना योगथी तेल अने घीनी साथे भेळवीने अग्निमां तपाववाथी ते सुवर्ममय बनी जाय छे. ३१. भद्रशाल वगेरे वनमां सर्वऋतुओना बधी ज जातनां फुलो खीलेला होय छे, जल अने फल सहित भद्रशालादि वनथी वीटळायेलो आ रमणीय गिरनार पर्वत इन्द्रोनो एक क्रीडापर्वत छे. ३२. गिरनार महातीर्थमां दरेक शिखरोनी उपर जल, स्थळ अने आकाशमां | फरनारा जे जे जीवो होय छे ते सर्वे त्रण भवमां मोक्षे जाय छे. ३३. गिरनार महातीर्थ उपर वृक्षो, पाषाणो, पृथ्वीकाय, अपकाय, वायुकाय अने अग्निकायना जीवो छे, ते व्यक्त चेतना नहि होवा छतां आ तीर्थना प्रभावथी केटलाक काळे मोक्षे जनारा थाय छे. ३४. जे जीवो गिरनार महातीर्थ उपर आवी पोताना न्यायोपार्जित धननो सुपात्रदान द्वारा सद्व्यय करे छे, तेओने भवोभव सर्व संपत्तिओ प्राप्त थाय छे. ३५. उत्तम एवा भव्यजीवो गिरनार महातीर्थमां मात्र एक दिवस पण शील धारण करे छे ते हमेशा सुर, असुर, नर अने नारीओथी सेववा योग्य थाय छे.
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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