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________________ पशुतणा पोकार सूणीने, दया अतिशय दिलमां आणी; करुणाना छे स्वामी, आतमना हितकार... पूजो २ राजीमतिने साथ ना आप्यो, मस्तके तेना हाथने थाप्यो; कर्मकलंक निवारे, मुगतिना दातार... पूजो ३ कृष्णरायने मारग आपे, भक्ति करतां जिनपद थापे; निजपदना दातारी, करुणाना करनार ... पूजो ४ जे कोइ नेमि जिनने ध्यावे, कामज्वर तेना पलमां शमावे; ब्रह्मचारी शिरनामी, अविचल अविकार... पूजो ५ रैवतगिरि से दीक्षा लेवे, नाणने निर्वाण तिहां ते पावे; गिरनार गिरिने ध्यावे, हेम होवे सुखाकार... पूजो ६ गिरनार गिरिवर... ( राग : नगरी नगरी द्वारे द्वारे ) गिरनार गिरिवर समता आपे, काम क्रोधने कापे; तेनी भक्ति करतां जे कोइ, शिव सुख सौने आपे... पातकी-घातकी जे कोई आवे, सौने तिहा समावे कर्ममलं सौ दूर निवारी, परमपदने आपे... सूक्ष्म - बादर जे जीव आवे, शिवसुख संबल पावे चउगति केरा फेरा विरामी, मुगतिपुरीओ जावे... कामविकारी भोगसुखकारी, ओ गिरिने जे फरशे, मोहरायने दूर हटावी, अविचल सुखडां वरशे... घेर बेठां से गिरिने ध्यावे, भवचोथे शिव पावे; हेम संगे सौ जगना प्राणी, गिरिवर गुणलां गावे.... ૧૪૭ गिरनार ... १ गिरनार ... २ गिरनार... ३ गिरनार ... ४ गिरनार...५
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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