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स्नेह तुमारो मीठो मधुरो, आस्वादे मन भमरो रे, गुणपराग जिम जिम चाखे, पुद्गल राग लागे खारो रे...५
नेमि निरंजन नयणे निरख्यो, रैवतगिरि मोझार रे, निर्वाणपद मने देजो प्रभुजी, सहजानंद दातार रे...६
जगतिमिरने मिटावन
(राग : संयम जीवननो लीयो मारगडो..) जगतिमिरने मिटावन काजे, विचरे योगी सहसावन रे, क्यारेक करीने ऊंचा हाथ, ऊभा रहे छे आतम ध्यान रे (२) जग तिमिरने १ परिषह-उपसर्ग सहेता सहेता, ते तो महालता निजानंदमां, अद्भूत अहनुं रुप खील्युं छे, वनराजी पण साख पूरे छे (२) जय तिमिर २ गिरनारगिरिओ योगी वसे छे, साधनाना शिखरे नित घसे छे, पूरण थाता चोप्पन दिवसे, काळी अमासना भाद्रमासे (२) जग तिमिरने ३ अपूरव ओवी घटना घटे, वनवगडामां तेज वहे रे, भेदन थाले मोह अंधकार, देव-दुंदुभिनो थाये रणकार (२) जग तिमिरने ४ समुद्रविजयसुत त्रिजगवंदन, अरिहापद लहे शिवानंदन, हर्षे भरेला सुरपति आवे, विविध देवगण साथे लावे (२) जग तिमिरने ५ विश्व विभुने वंदे भावे, परमानंद सौ निजमन पावे, धन्यधराओ मुगति जावे, हेम तिहा रही गिरिगुण गावे (२) जग तिमिरने ६
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नेमिवर निराला...
(राग : सावन का महिना). नेमिवर निराला, निरंजन निर्विकार पूजे वंदो भावे, थाये बेडो पार...१
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