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जगवत्सल जगबांधव रे...
(राग : बालुडो निःस्नेही थई गयो रे ... ) जगवत्सल जगबांधव रे, दयासागर अपार (२) भोळा पशु उगारवा, छोडी चाल्या घरबार (२) मेरो चित्त चोरी गयो साहिबो ... १
स्वामीनी प्रीत नित सांभरे रे, साले विरह अपार (२) नवभव नेह विसारियो, सूण्यो पशुडानो साद (२) मेरो चित्त.... २ मजी वैरागी थई गया रे, छोड्यो राजुलनो हाथ (२)
संयम रमणी आराधवा, लेवा शिवपुरनो साथ (२) मेरो चित्त... ३ राजुलने मेली ओकली रे, जाय दिन नवि रात (२)
हृदय सिंहासन बेसवा, झूरे हैयुं अपार (२) मेरो चित्त... ४ सहसावने संयम वरे, पामे केवळज्ञान (२)
हेमपरे कर्मशोधतां, वरे वल्लभ स्थान (२) मेरो चित्त... ५
मेरा आतम तेरे हवाले...
( राग : मेरा जीवन तेरे हवाले... )
मेरा आतम तेरे हवाले, प्रभु इसे हरपल तुंही संभाले,
ये आतमधन तुजसे पाया, कर्मोंने तो डेरा डाला (२) मेरे दोषोको तुं ही मीटा दे... प्रभु... १
भवसागरमें मेरा आतम, डूब रहा है ओ तरवैया (२)
इसे आकर तुंही बचावे.... प्रभु... २
रागद्वेषने डंश लीया आकर, कैसे बचुं में झहर को खाकर (२)
इस विषको तुंही उतारे...
प्रभु... ३
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